भारत से जैविक चीनी आयात कर सकता है भूटान

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थिंपू, भूटान, 27 जून: भारत भूटान संबंधों का इतिहास सदियों पुराना है दोनों देश, सामाजिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक रुप से जितने करीब है उतने ही क़रीब कृषि क्षेत्र से जुड़े व्यापार और कारोबार की दृष्टि से भी है। भूटान संसद के स्पीकर वांग्चुक नाम्गेयल ने संसद सभागार में मीडिया से बात करते हुए कहा कि भूटान में 2008 में डेमक्रेसी शुरु हुई। तब से लेकर आजतक लोकतंत्र की इस संसदीय बुनियाद की मज़बूती में मिठास घोलने का काम कर रही है भारतीय चीनी मिलों से तैयार चीनी।

संसद के स्पीकर नाम्गेयल ने कहा कि वैसे तो अधिकांश भारतीय खाद्य उत्पाद हमारे यहाँ के खाने का स्वाद बढ़ाते ही है लेकिन असम सहित पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से आयात की जाने वाली चीनी की मिठास अपनी महक से भूटान की संसद के सदस्यों को महका रही है। स्पीकर ने कहा कि भूटान के सांसद और स्टाफ़ भारतीय सुगर को ख़ास तौर से पसंद करते है।

स्पीकर वांग्चुक नाम्गेयल ने कहा कि फरवरी 2018 में भारत से सुगर और सुगर से बने उत्पादों का आयात 0.22 USD मिलियन था। इससे आप अंदाज लगा सके है कि भूटान के लोगों के खाने में भारतीय चीनी और उससे बनी मिठाइयाँ कितनी ख़ास जगह रखती है।

स्पीकर ने कहा कि संसद में सदस्यों के लिए चीनी, कॉफ़ी, लेमन टी या ग्रीन टी पाने का ऑप्शन है लेकिन चीनी सबमें भारतीय ब्रांड की ही डलती है।

स्पीकर नाम्गेयल ने कहा कि जब भी कोई अतिथि संसद विज़िट के लिए आते है तो उनका स्वागत भारतीय चीनी की मिठास के साथ ही होता है।

भारतीय गन्ना के गुणवत्ता की बात करके हुए स्पीकर ने कहा कि भारत में उत्पादित गन्ना बेहतर क़िस्म का होता है इसलिए चीनी भी बहुत उम्दा होती है।

स्पीकर ने कहा कि संसद में हम पूर्ण जैविक चाय या कॉफ़ी सर्व करने की योजना पर भी काम कर रहे है और इसके लिए भारत से हम जैविक चीनी आयात करने की योजना पर भी काम कर रहे है। स्पीकर ने कहा कि स्वास्थ्य चिन्तायों को देखते हुए आजकल जैविक उत्पादों पर सबका ध्यान है इसलिए संसद में भी आने वाले दिनों में सिर्फ़ जैविक चीनी ही उपलब्ध होगी। इसके लिए हमें चीनी आयात के लिए भारत पर निर्भर रहना होगा। भारत से शुद्ध और गुणवत्ता आधारित मानकों पर खरी उतरने वाली जैविक चीनी हम ख़रीदेंगे और संसद में उसी को बाध्यकारी करेंगे।

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