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पटना [राज्य ब्यूरो]। आवश्यकता से अधिक चीनी के उत्पादन के कारण चीनी मिलों को संकट का सामना करना पड़ा रहा है। बिहार शुगर मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक, जो स्थिति बनी हुई है उसके कारण प्रदेश की चीनी मिलों को करीब 485 करोड़ रुपये का नुकसान सहना पड़ेगा। एसोसिएशन ने संकट से निकलने के लिए कैश सब्सिडी के साथ-साथ कम से कम 20 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति मांगी है।
एसोसिएशन के महासचिव नरेश भट्ट ने कहा कि हमने राज्य सरकार से पिछले साल की तरह ही गन्ना खरीद पर 40 रुपये प्रति क्विंटल कैश सब्सिडी की मांग की है। राज्य सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि वह केंद्र सरकार से हमें कम से कम 20 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दिलाए।
उन्होंने आशंका जताई कि जो स्थिति बनी हुई है उसमें गन्ना किसानों को भुगतान करने में हम असमर्थ हो जाएंगे। प्रदेश में गन्ना किसानों का 176 करोड़ रुपये बकाया है जिसमें से 115 करोड़ रुपये का चीनी मिल अबतक भुगतान कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि हमें 700-800 रुपए प्रति क्विंटल घाटा हो रहा है। अधिक उपलब्धता के कारण चीनी की कीमत कम होकर अब 2900-3050 रुपये हो गई है। आगे इसके और भी कम होने की उम्मीद है। देश में चीनी का पिछले वर्ष करीब 300 लाख टन उत्पादन हुआ जबकि खपत 250 लाख टन की ही है। उन्होंने कहा कि इस सीजन बिहार में 6.9-7.0 लाख टन चीनी उत्पादन की उम्मीद है और इस पर प्रति क्विंटल 3800 रुपये की लागत आएगी, और हमें 2900 रुपये प्रति क्विंटल ही कीमत मिल पाएगी।
उन्होंने कहा कि हमने इस संकट की ओर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए मदद मांगी है। जब से जीएसटी लागू हुआ है राज्य सरकार को चीनी से 600 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में मिल चुके हैं। चीनी पर 5 प्रतिशत जीएसटी है और मोलासेस पर 28 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है।