भारत की ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्य को पूरा करने में जैव ईंधन की महत्वपूर्ण भूमिका: आईओसीएल अध्यक्ष

पुणे : इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसीएल) के अध्यक्ष श्रीकांत वैद्य ने कहा की, भारत आयातित कच्चे तेल पर बहुत अधिक निर्भर है और स्वदेशी रूप से निर्मित जैव ईंधन के बढ़ते उपयोग से राष्ट्र को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनने और नेट जीरो लक्ष् को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि, पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण 2025 तक 20% अंक तक पहुंच जाएगा और हमें अब आक्रामक रूप से डीजल में एथेनॉल सम्मिश्रण करना होगा क्योंकि यह हानिकारक ऑटो उत्सर्जन को रोकने और तेल आयात के कारण देश के विदेशी मुद्रा बिलों को कम करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। वह प्राज मैट्रिक्स के 15 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

वैद्य ने कहा, भारत सरकार के जैव ईंधन कार्यक्रम देश के किसान की आय को दोगुना करने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर निर्माण करने में मदद करता है। आईओसीएल हरित विकास के लिए प्रतिबद्ध है और हमने नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लिए 2046 का आंतरिक लक्ष्य स्थापित किया है।

उन्होंने आगे कहा की, विमानन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के लिए पारंपरिक जेट ईंधन के साथ ड्रॉप-इन ईंधन के रूप में सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) का उपयोग करने के लिए एयरलाइंस उद्योग से रुचि बढ़ रही है। हम CORSIA (कार्बन ऑफसेटिंग और रिडक्शन स्कीम) को पूरा करने के लिए SAF क्षमता बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और ओपेक की तेल उत्पादन नीतियों के साथ नाजुक भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।

प्राज द्वारा जैव ईंधन प्रौद्योगिकियों में की गई प्रगति की सराहना करते हुए उन्होंने वैज्ञानिकों से कुछ ऐसे एजेंट विकसित करने की अपील की, जो प्राथमिकता के रूप में एथेनॉल और डीजल के सम्मिश्रण को संभव बना सके।इस अवसर पर प्राज इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद चौधरी, सीईओ एवं प्रबंध निदेशक शिशिर जोशीपुरा, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के कार्यकारी निदेशक अनिर्बान घोष और मैथ्यू वर्गीस इस अवसर पर उपस्थित थे।

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