पश्चिमी यूपी के नेताओं को गन्ना किसानों के गुस्से से राजनितिक नुकसान का डर

नई दिल्ली: पश्चिमी यूपी के भाजपा नेताओं को लगता है कि, गन्ना किसानों की चिंताओं को दूर करने से पार्टी को अपनी खोई हुई राजनितिक जमिन फिर से हासिल करने में मदद मिलेगी, क्योंकि गन्ना किसानों का गुस्सा दिल्ली की सीमाओं पर तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के साथ पूरे इलाके में गूंज रहा है।

आईएएनएस न्यूज एजेंसी में प्रकाशित खबर के मुताबिक, भाजपा के एक नेता ने कहा कि, केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान, सांसद राज कुमार चाहर, सत्यपाल सिंह और भोला सिंह सहित अन्य पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राज्य सलाहकार मूल्य (एसएपी) सहित गन्ना से जुड़े कई मुद्दों पर मुलाकात की।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, नेताओं ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और किसानों को प्रभावित करने वाले मुद्दों के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों से एसएपी में वृद्धि नहीं हुई है, यह गंभीर चिंता का विषय है। भाजपा के एक अन्य नेता ने कहा, पश्चिमी यूपी में किसान जाट बहुल क्षेत्र हैं। पिछले कुछ वर्षों से गन्ने के लिए एसएपी नहीं बढ़ाए जाने से किसान नाराज है। 14 फरवरी को, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2020-21 के लिए एसएपी यथास्थिति बनाए रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। बीजेपी नेताओं का मानना है कि एसएपी को लेकर सरकार के फैसले को लेकर किसानों में भारी नाराजगी है।

पश्चिमी यूपी में मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत जैसे कुछ जिलों के किसान भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदत्यनाथ ने पार्टी नेताओं को उनकी चिंता का समाधान करने का आश्वासन दिया।

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