चेन्नई: पीजीपी ग्रुप ऑफ कंपनीज की प्रमुख कंपनी धरणी शुगर्स एंड केमिकल्स के खिलाफ बैंक ऑफ इंडिया ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में दिवालिया होने की याचिका दायर की है। धरनी शुगर्स ने कहा कि अगस्त 2018 में उसके ऋणों को गैर-निष्पादित के रूप में वर्गीकृत किया गया। इसलिए कंपनी ने अपने उधारदाता बैंकों को वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) और एक रिजोल्यूशन प्लान दिया था। इन दोनों पर अभी बातचीत चल रही है।
धरनी शुगर्स ने बीएसई फाइलिंग में कहा है कि बैंक ऑफ इंडिया ने धरनी शुगर्स को एनसीएलटी में एक डिफॉल्ट कंपनी के रुप में पेश किया है। कंपनी ने अपनी इस दयनीय वित्तीय स्थिति के लिए अधिशेष उत्पादन और चीनी की कीमतों में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इसके अलावा कंपनी ने कहा है कि पिछले चार साल से तमिलनाडु की चीनी मिलों को लगातार सूखे का सामना करना पड़ रहा है। तमिलनाडु की अधिकांश चीनी कंपनियों को पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
कंपनी ने कहा, सितंबर में दक्षिण भारतीय चीनी मिल संघ और तमिल नाडु राज्य सरकार के बीच हुई बैठक में धरनी शुगर्स ने खातों के पुनर्गठन का प्रस्ताव रखा और बैंकों से तब तक वसूली की सभी कार्यवाही रोकने का अनुरोध किया। राज्य स्तरीय बैंकिंग समिति (एसएलबीसी) इस प्रस्ताव पर फिलहाल चर्चा कर रही है। सभी चीनी मिलों को एसएलबीसी की सिफारिशों का इंतजार है।
कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग इकाई तिरुनेलवेली, तिरुवनमलाई और विल्लुपुरम जिलों में हैं।
यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.