ब्राजील फ्लेक्सिबल ईंधन वाले वाहनों पर भारत के साथ काम करने को इच्छुक: राजदूत आंद्रे अरान्हा कोरिया

नई दिल्ली : ब्राजील के राजदूत आंद्रे अरन्हा कोरिया डो लागो ने कहा कि, ब्राजील फ्लेक्सिबल ईंधन वाले वाहनों पर भारत के साथ काम करने और इस क्षेत्र में अपने लंबे अनुभव को साझा करने का इच्छुक है।दुनिया में एथेनॉल का सबसे बड़ा उत्पादक होने के अलावा ब्राजील चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी है।इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित चीनी और एथेनॉल पर एक सम्मेलन में बोलते हुए, आंद्रे अरान्हा कोरिया ने कहा कि अगले साल ब्राजील में फ्लेक्सिबल (लचीले) ईंधन वाले वाहनों को पेश किए जाने का 20 वां वर्ष होगा। उन्होंने कहा कि, वर्तमान में देश में बिकने वाले 92 प्रतिशत हल्के वाहन फ्लेक्सिबल ईंधन वाले किस्म के हैं।2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य में ब्राजील को एक प्रमुख भागीदार माना जाता है।राजदूत लागो ने कहा कि, ऊर्जा द्विपक्षीय संबंधों में एक फोकस क्षेत्र बना हुआ है।

लचीले-ईंधन वाले वाहन या दोहरे ईंधन वाले वाहनों में एक से अधिक ईंधन पर चलने के लिए डिज़ाइन किया गया इंजन होता है।आमतौर पर गैसोलीन या तो एथेनॉल या मेथनॉल ईंधन के साथ मिश्रित होता है, और दोनों ईंधन एक ही सामान्य टैंक में संग्रहीत होते हैं।एथेनॉल कार्बन उत्सर्जन को कम करने बड़ी भूमिका निभाता है।आंद्रे अरान्हा कोरिया डो लागो ने कहा कि, दोनों देश जैव ईंधन और जैव ऊर्जा में गठबंधन पर भी काम कर रहे हैं।ब्राजील के एग्रो बिजनेस एनालिटिक्स प्रमुख डेटाग्रो के अध्यक्ष प्लिनीओ नास्तारी ने कहा कि, लचीले ईंधन वाले वाहनों को अपनाना भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि भारत दुनिया में परिवहन के लिए ईंधन का चौथा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है।उन्होंने कहा की, भारत ब्राजील और अमेरिका जैसे अन्य देशों के अपने परिवहन ईंधन परिवर्तन में छलांग लगाने के अनुभव से सीख सकता है। भारत को लचीले ईंधन बेड़े के लिए E100 (100 प्रतिशत एथेनॉल, 0 प्रतिशत गैसोलीन) मानकों का उपयोग करना चाहिए।

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