ब्राजील दुनिया में चीनी बाजार को ‘संतुलित’ करने को लेकर भारत पर दे रहा है भार

नई दिल्ली: ब्राजील के गन्ना उद्योग संघ (UNICA) के कार्यकारी निदेशक एडुआर्डो लेओ दे सौसा ने कहा कि, भारत को “महत्वाकांक्षी” जैव ईंधन कार्यक्रम को लागू करना चाहिए, जिससे चीनी मिलों को इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिले और “विश्व चीनी बाजार में संतुलन” बने।

द इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा की भारत में बिकने वाले पेट्रोल में औसत इथेनॉल सम्मिश्रण अब केवल 6 प्रतिशत है और 2022 तक 10 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने से चीनी उत्पादन में 40 लाख टन की कमी आएगी, जिससे वैश्विक बाजार में आज जो अधिशेष चीनी की मात्रा है, वह भी कम हो जाएगी। पिछले साल इथेनॉल का अधिक उत्पादन करके, ब्राज़ील ने वैश्विक बाजार से 100 लाख टन चीनी मात्रा को कम कर दिया था।

कोरोना वायरस के कारण तेल उद्योग को बड़ा नुकसान हुआ है। इसके कारण ब्राजील में इथेनॉल कम उत्पादन करने का फैसला लिया गया है, जिससे की अब यहाँ की मिलें चीनी उत्पादन के लिए ज्यादा गन्ना आवंटन करेगी। मतलब ब्राजील में ज्यादा चीनी उत्पादन होगा और इसका असर घरेलु चीनी कीमतों पर पड़ने का अनुमान है। हालही में, ब्राजील की नेशनल सप्लाई कंपनी (Conab) ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि, 2020-21 का गन्ना पेराई सीजन जैसे जैसे आगे बढ़ता है और उत्पादन बढ़ता है, वैसे ब्राजील में चीनी की कीमतें आने वाले महीनों में घटने की उम्मीद है।

इस सीजन ब्राजील ने चीनी उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिया है यानी विश्व स्तर पर बाजार में ज्यादा चीनी आएगी और जाहिर तौर पर इसका असर चीनी की कीमतों पर भी पडेगा।

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