अप्रैल 2020 से आयेंगे BS-6 वाहन, प्रदूषण में आयेगी कमी: प्रकाश जावड़ेकर

केन्‍द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रयासों से दिल्‍ली-एनसीआर (राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में पर्यावरण की दृष्टि से अब पहले की तुलना में कहीं ज्‍यादा ‘अच्‍छे दिन’ देखने को मिल रहे हैं। केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज नई दिल्‍ली में एक संवाददाता सम्‍मेलन के दौरान विस्‍तृत जानकारी देते हुए बताया कि पराली जलाए जाने से दिल्‍ली में उत्‍पन्‍न वायु प्रदूषण की समस्‍या से निपटने के लिए पांच राज्‍यों की एक उच्‍चस्‍तरीय बैठक जल्‍द ही आयोजित की जाएगी। उन्‍होंने बताया कि पराली जलाए जाने को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार ने लगभग 1,150 करोड़ रुपये की लागत से पंजाब और हरियाणा के किसानों को 20,000 से भी अधिक मशीनें मुहैया कराई हैं।

श्री जावड़ेकर ने कहा, ‘किसी समस्‍या की मौजूदगी को मान लेने भर से ही उसके समाधान की शुरुआत हो जाती है। वैसे तो दिल्‍ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्‍या वर्ष 2006 से ही विकराल रूप लेने लगी थी, लेकिन वर्ष 2014 तक इसे कोई तवज्‍जो नहीं दी गई। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में वायु गुणवत्‍ता सूचकांक (एक्‍यूआई) को लांच किया गया था। आज 113 एक्‍यूआई निगरानी केंद्र दिल्‍ली-एनसीआर में कार्यरत हैं। 29 और एक्‍यूआई निगरानी केंद्र जल्‍द ही स्‍थापित किए जाएंगे।’ उन्‍होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्ष 2019 में 30 सितम्‍बर तक कुल 273 दिनों में से 165 दिन ‘अच्‍छे’, ‘संतोषजनक’ और ‘सामान्‍य’ रहे हैं, जबकि वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 104 दिनों का था।

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि भारत स्‍टेज VI (बीएस VI) ईंधनों में व्‍यापक बदलाव लाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। उन्‍होंने कहा कि वायु में मौजूद द्रव्‍य एवं ठोस सूक्ष्‍म कणों के उत्‍सर्जन में 80 प्रतिशत की कमी के साथ-साथ बीएस III मानकों की तुलना में बीएस IV भारी डीजल वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्‍साइड के उत्‍सर्जन में भी 30 प्रतिशत की कमी आई है। श्री जावड़ेकर ने कहा कि बीएस VI ईंधनों को अपनाने पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उन्‍होंने कहा,’भारत अप्रैल 2020 से बीएस IV मानकों के बजाय बीएस VI वाहन उत्‍सर्जन मानकों को अपनाने लगेगा। बीएस VI मानकों वाला पेट्रोल/डीजल पहले से ही दिल्‍ली-एनसीआर में उपलब्‍ध है।’

हरित लोगो एवं क्‍यूआर कोडिंग सिस्‍टम के साथ हरित पटाखों का शुभारंभ शनिवार को किये जाने को एक ऐतिहासिक पहल बताते हुए श्री जावड़ेकर ने लोगों को इस दिवाली पटाखे न जलाने की सलाह दी। हालांकि, यदि कोई पटाखे जलाना ही चाहता है, तो उसे हरित या ग्रीन पटाखे जलाने चाहिए, जिसका उद्देश्‍य प्रदूषण के साथ-साथ स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी जोखिम में कमी लाना है।

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