कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के एग्री इंफ्रा फंड को मंजूरी मिली

नई दिल्ली: कोरोना के कारण देश में कई उद्योगों पर गहरा पडा है और सरकार हर कोशिश कर रही है इसको कम किया जाए। कोरोना के प्रभाव को कम करने के साथ ही सरकार देश में आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहे, इसपर काम कर रही है। कोरोना संक्रमण के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज कैबिनेट और सीसीईए की बैठक हुई। इसमे आज कई अहम फैसले लिए गए है। सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड बनाने को बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी।

कैबिनेट के फैसलों के जानकारी देते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक फैसला है। इससे कृषि क्षेत्र का विकास होगा।”

इस योजना के अंतर्गत, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के द्वारा एक लाख करोड़ रुपये ऋण के रूप में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसी), विपणन सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), किसानों, संयुक्त देयता समूहों (जेएलसी), बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, कृषि उद्यमियों, स्टार्टअपों, संग्रहित अवसंरचना प्रदाताओं और केंद्रीय/राज्य एजेंसियों या स्थानीय निकायों द्वारा प्रायोजित सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनों को उपलब्ध कराई जाएगी।

ऋण का वितरण चार वर्षों में किया जाएगा, चालू वित्तीय वर्ष में 10,000 करोड़ रुपये और अगले तीन वित्तीय वर्ष में 30,000 करोड़ रुपये क्रमशः की मंजूरी प्रदान की गई है।

इस वित्तपोषण सुविधा के अंतर्गत, सभी प्रकार के ऋणों में प्रति वर्ष 2 करोड़ रुपये की सीमा तक ब्याज में 3% की छूट प्रदान की जाएगी। यह छूट अधिकतम 7 वर्षों के लिए उपलब्ध होगी। इसके अलावा, 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) योजना के अंतर्गत इस वित्तपोषण सुविधा के माध्यम से पात्र उधारकर्ताओं के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज भी उपलब्ध होगा। इस कवरेज के लिए सरकार द्वारा शुल्क का भुगतान किया जाएगा। एफपीओ के मामले में, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (डीएसीएफडब्ल्यू) के एफपीओ संवर्धन योजना के अंतर्गत बनाई गई इस सुविधा से क्रेडिट गारंटी का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

(With inputs from PIB)

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