चीनी उद्योग में युवाओं के लिए तैयार की जा रही है करियर की बहुत सारी संभावनाएँ

नई दिल्ली,16 जनवरी: भारत सरकार देश के युवाओं को कृषि शिक्षा के साथ कौशल दक्षता से युक्त उद्यमशीलता की शिक्षा की योजना पर काम कर रही है । नई शिक्षा पद्दति को युवा अपनी शिक्षा का हिस्सा बनाएँ और व्यावहारिक शिक्षा का ज्ञान अर्जित कर इसे जीवन में करियर के रूप में अपनाए इसके लिए सरकार ने देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में एग्री बिज़नेस एवं प्रबंधन कोर्सेज़ शुरु किए हैं। राजधानी दिल्ली के पूसा संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कृषि में उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रहे हैं।

कृषि में गन्ने की खेती के विशाल रकबे के कारण यूपी, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे बड़े राज्यों में शुगर इंडस्ट्री में युवाओं के लिए करियर की बहुत संभावनाएँ तैयार की जा रही है। इसी को ध्यान रखते हुए सरकार ने गन्ना प्रसंस्करण व चीनी उद्योग स्टार्टअप शुरु करने वाले युवाओं के लिए रोज़गार की संभावनाएँ बढ़ायी है। महापात्रा ने कहा कि कृषि मंत्रालय भारत सरकार के राष्ट्रीय कृषि प्रबंधन संस्थान द्वारा युवाओं को स्टार्टअप शुरु करने से जुड़े 40 से भी अधिक छोटी अवधि के प्रशिक्षण कोर्स चलाए जाते हैं, इनमें गन्ने के प्रसंस्करण से ग़ुड और खांडसारी बनाने के अलावा चीनी प्रसंस्करण की छोटी इकाइयाँ लगाने से जुड़े प्रशिक्षण कोर्सेज़ भी शामिल है। कृषि विषय में स्नातक और परा स्नातक युवाओं को इसमें मौक़ा दिया जाता है। इसके अलावा देश के सभी विश्वविद्यालयों में एग्री बिज़नेस के कोर्सेज़ चलाए जाते हैं। जहां पर बीएससी एग्री किए युवा प्रवेश ले सकते हैं। महापात्रा ने कहा कि कोर्सेज़ के बाद छात्रों को स्वरोज़गार के लिए सस्ती दर पर लोन दिया जाता है। ऋण की अवधि 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपयों तक है। इससे कई युवा गन्ना और चीनी उद्योग क्षेत्र में अपना स्वरोज़गार कर रहे हैं ।

सरदार पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति डॉ आर के मित्तल ने कहा कि ये संभाग गन्ना उत्पादक है। यहाँ से हर साल कई छात्र प्रशिक्षण लेकर जाते हैं और गन्ना प्रसंस्करण एवं चीनी उद्योग क्षेत्र में अपना रोज़गार करते है। मित्तल ने कहा कि कृषि की पढ़ाई करके जो युवा बेरोज़गार हुए वही युवा बाद में यहाँ से प्रशिक्षण लेकर अपना रोज़गार करके उद्यमशील बन रहे हैं। किसी ने गन्ना का रस निकालने का संयंत्र लगा रखा है तो किसी ने गुड तैयार करने का आधुनिक कोल्हू। किसी ने गन्ने से बायो गैस संयंत्र लगा रखा है तो किसी ने गन्नाअवशेष से सौर ऊर्जा प्लांट लगा रखा है।

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ से कौशल प्रशिक्षण लेकर अपना गन्ना रस प्रसंस्करण संयंत्र चल रहे राममूर्ति ने कहा कि गाँव में ही मैंने संयंत्र लगा रखा है। 10, लाख का लोन लिया था। शुरु में काम धीमा रहा। सीजन के समय 25000 प्रति माह कमाई हो जाती है।

ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश का कारोबारी माहौल बनाने के लिए स्टेंडअप और स्टार्टअप योजना की शुरुआत की है, इससे देश में जहां स्टार्टअप प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिल रहा है वहीं बेरोज़गार युवकों के लिए रोज़गार के अवसर भी बढ़ रहे है।

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