भारत सरकार जल्द ही राष्ट्रीय जल नीति का एक नवीनतम संस्करण लेकर आएगी, जिसमें राष्ट्रीय जल उपयोग दक्षता ब्यूरो की स्थापना करने के अलावा जल शासन संरचना और नियामक ढांचों में महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। 6 वें भारत जल सप्ताह – 2019 के समापन सत्र में बोलते हुए, केंद्रीय जल मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि देश में जल प्रशासन संरचना का हिस्सा, प्रशासनिक या राजनीतिक सीमा के बजाय हाइड्रोलॉजिकल सीमाओं को बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, इसके लिए संवैधानिक ढांचे के भीतर राज्यों के बीच इसपर आम सहमति बनाना एक आवश्यक पूर्व शर्त है।
श्री शेखावत ने कहा कि भारत में जल चुनौतियों से निपटने के लिए जल संरक्षण के साथ-साथ जल संचयन और पानी का विवेकपूर्ण और बहुउपयोग करना प्रमुख है। सदियों पुराने संरक्षण के तरीकों को अपनाने वाले पारंपरिक जल निकायों और संसाधनों के कायाकल्प और पुनरोद्धार की बात करते हुए, मंत्री ने व्यापक रूप में आधुनिक जल प्रौद्योगिकियों के प्रसार की आवश्यकता को रेखांकित किया। जल व्यापार के विचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, श्री शेखावत ने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे जल अधिशेष वाले राज्य संसाधनों की कमी वाले राज्यों के साथ इसे साझा करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने राज्यों से जल संसाधनों पर आंकड़ों को एकत्रित करने और खुले मन से उसे दूसरों के साथ साझा करने के लिए भी कहा।
अपने संबोधन में, जल शक्ति राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया ने कहा कि पानी के मांग प्रबंधन को, उसके आपूर्ति प्रबंधन के उपर प्राथमिकता दी जानी चाहिए और उन्होंने इस दुर्लभ संसाधन का बड़े पैमाने पर संरक्षण की आवश्यकता पर बल किया। पानी के पुनर्चक्रण और पुन: प्रयोग की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि एकीकृत जल प्रबंधन, गरीबी को कम करने और सतत आर्थिक विकास के लिए एक उपकरण है।
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