राजनांदगांव : जिले में तना छेदक कीटों के प्रकोप से गन्ना किसान परेशान है।कृषि विभाग ने किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी है, साथ ही कीटों के प्रबंधन के लिए कुछ उपाय बताए है।न्यूज़18 हिंदी में प्रकाशित खबर के मुताबिक, कृषि विभाग के सहायक संचालक डॉक्टर बीरेंद्र अनंत ने बताया कि, तना छेदक कीट, जिसे स्टेम बोरर भी कहा जाता है।फसलों को काफी नुकसान पहुंचाता है।यह कीट चार चरणों में फसल को प्रभावित करता है, जिसमें लार्वा (इल्ली) अवस्था सबसे ज्यादा नुकसानदायक होती है।यह जमीन के स्तर से नीचे फसल के तने को खा जाता है।इसके नियंत्रण के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।
तना छेदक कीट के प्रकोप से बचाव के उपाय के बारे में उन्होंने कहा की, गन्ने की पेड़ी और नई रोपी गई फसल में संक्रमित पौधों को जमीन की सतह से काटकर नष्ट करें।कार्बोफ़्यूरान 3% सी.जी. @ 13 किलो प्रति एकड़ की दर से बुरकाव कर सिंचाई करें।कात्यायनी चक्रवर्ती (थियामेथॉक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC) – 80-100 मिली/एकड़ का छिड़काव करें।कात्यायनी इमा 5 (इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG) – 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।कात्यायनी अटैक सीएस (लैम्ब्डा-साइहलोथ्रिन 4.9% सी एस) – 100-120 मिली/एकड़ का छिड़काव करें।इन उपायों से गन्ने की फसल को तना छेदक कीट के प्रकोप से बचाया जा सकता है और उपज में कमी को रोका जा सकता है।