छत्तीसगढ़ को 50 हजार मीट्रिक टन चीनी का कोटा एकमुश्त जारी करने का आग्रह

रायपुर: राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से देशभर में गन्ना और चीनी उद्योग का व्यापार और कारोबार प्रभावित हो रहा है। लॉकडाउन से रुके विकास के पहिये ने देश के कई राज्यों में चीनी मिलों के व्यापार की गति पर ब्रेक लगा दिए है।

देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्यों यूपी और महाराष्ट्र के साथ-साथ छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में भी चीनी की बिक्री न होने से चीनी उद्योग पर इसका असर पडा है। प्रदेश में फिलहाल गन्ना पैराई सीजन चल रहा है। चीनी मिलों पर किसानों का गन्ना बकाया चुकाने का दबाव है जिसे लेकर राजनीति भी गर्माई हुई है। विपक्षी दल सरकार को घेर रहे हैं।

प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि लॉकडाउन के बावजूद हम गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं के समाधान और चीनी मिलों को राहत दिलाने के लिए पूरी तरह से गंभीर है। राज्य स्तर पर सहुलित देने के साथ केन्द्र सरकार से भी मांग की गयी है कि लॉकडाउन में चीनी मिलों को हो रहे नुकसान को देखते हुए शक्कर के विक्रय के लिए 50 हजार मीट्रिक टन का कोटा एकमुश्त जारी कर हर माह जारी किए जाने वाले कोटे से इसे मुक्त रखा जाए।

बघेल ने कहा कि हमने मांग की है कि चीनी बिक्री के लिए कोटा निर्धारण से सूबे के सहकारी कारखानों से चीनी की बिक्री करने में समस्या हो रही है। इस कोटा प्रणाली के चलते मिलों में गत वर्ष की चीनी भी बिक नहीं पायी है, और मिलों में अभी तक स्टॉक पड़ा है। फिलहाल गन्ना पैराई चल रही है इस कारण से भी चीनी मिलों में चीनी का उत्पादन तो हो रहा है लेकिन बिक्री न होने से स्टॉक बढ रहा है। केन्द्र सरकार हमारी मांग मान लेती है तो चीनी मिलों को शक्कर विक्रय की छूट से सहुलियत होगी और चीनी बिकने से उन्हें गन्ना किसानों का बकाया चुकाने में आसानी होगी।

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