गन्ना किसानों की लाइफ लाइन मानी जाने वाली ये बंद पड़ी चीनी मिल को लेकर बढ़ सकता है विवाद

मथुरा,12 सितम्बर: उत्तर प्रदेश सरकार सूबे के गन्ना किसानों के कल्याण और सहकारी चीनी मिलों के विकास के लिए लगातार काम कर रही है। प्रदेश के कई जिलों में चीनी मिलों का कायाकल्प किया जा रहा है और वित्तीय राशि आवंटित कर उनकी कार्य क्षमता बढ़ाई जा रही है। सरकार की चीनी मिलों के विकास की रफ़्तार के बावजूद प्रदेश के कई जिले आज भी ऐसे है जहाँ सहकारी चीनी मिलों की स्थिति या तो दयनीय है या वो बंद है। ऐसा ही मामला है आगरा संभाग की छाता सहकारी चीनी मिल का। छाता स्थित ये सहकारी चीनी मिल साल 2008 से बंद है। जिसे फिर से शुरु करने की माँग को लेकर गन्ना किसानों के प्रतिनिधमंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मथुरा में पंडित दीन दयाल पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में किसान नेता हरिवीर सिंह ने कहा कि योगी सरकार ने पिछले चुनावों में इस चीनी मिल को शुरु करवाने का वादा किया था जिसकी हम उनको याद दिलाने आए है। किसानों ने कहा कि चार दशक पुरानी ये चीनी मिल इस संभाग के गन्ना किसानों की लाइफ लाइन मानी जाती थी लेकिन राजनीति की भेंट चढ़ी ये मिल आज अपनी बदहाली का रोना रो रही है।

किसान नेता रंगलाल ने कहा कि जब भी चुनाव आते है तब ये चीनी मिल चुनावी मुद्दा बन जाती है। लेकिन चुनावों के बाद हर कोई इसे भूल जाता है। रंगलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस चीनी मिल को फिर से चालू करने का आश्वासन देना चाहिए। स्थानीय चीनी व्यापारी रमेश सर्रांफ ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2018 में इस चीनी मिल को शुरु करने की घोषणा के साथ इसके जीर्णोद्धार के लिए 300 करोड़ से अधिक की राशि देने का ऐलान भी किया था लेकिन मिल अभी तक चालू नहीं हुई।

कार्यक्रम में मौजूद स्थानीय केबीनेट मंत्री श्रीकांत सिंह ने भी इस चीनी मिल को शुरु करने की माँग की।

इस सहकारी चीनी मिल को शुरु करवाने के मसले पर मीडिया से बात करते हुए मथुरा के ज़िलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्रा ने कहा कि चीनी मिल को शुरु करने के लिए शासन को काफ़ी पहले से किसानों का ज्ञापन भेजा गया है, उम्मीद है सरकार उसपर उचित निर्णय लेगी।

छाता निवासी किसान भीम सिंह ने कहा कि ये अगर चीनी मिल शुरु नहीं होती है तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। हम लोग चीनी मिल को फिर से चलवाने के लिए हर सरकार के पास जगह जगह जाएँगे फिर, और अगर भी बात नहीं बनती है तो ब्लॉक से लेकर जिले तक आंदोलन किया जाएगा।

गौरतलब है कि तक़रीबन 100 एकड़ मे फैली इस सहकारी चीनी मिल की स्थापना 1975 में की गयी थी। तब ये चीनी मिल पश्चिम यूपी की बड़ी चीनी मिल के तौर पर जानी जाती थी और हर रोज़ यहाँ 50 हज़ार से भी अधिक किसान मिल को गन्ने की आपूर्ति कर गन्ना पैराई के लिए आते थे। लेकिन 2008 में चीनी मिल को राजनीतिक कारणों से तत्कालीन बसपा सरकार ने घाटे में बताकर इसे बंद करने के आदेश दे दिए थे। उसके बाद किसान नेताओं के आंदोलन और क़ानूनी प्रक्रियाओं के पेच में अटक कर ये मिल स्थाई तौर पर बंद हो गयी। जिसे फिर से चालू करवाने के लिए तब से लेकर आजतक जनप्रतिनिधियों के यहाँ गन्ना किसानों के प्रतिनिधिमंडल लगातार चक्कर लगा रहे है लेकिन सिवाय आश्वासन के कुछ भी हाथ नहीं लग रहा।

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