कोरोना इफेक्ट: मांग और बिक्री में गिरावट के कारण आइसक्रीम उद्योग को बड़ा घाटा

मुंबई: कोविड -19 संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के कारण लगातार दूसरे साल आइसक्रीम उद्योग को भारी नुकसान हुआ है और बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई है। आइसक्रीम उद्योग अब इस संकट से निपटने के लिए सॉफ्ट लोन योजना के रूप में सरकार से मदद की उम्मीदें लगा रहा है।आइसक्रीम उद्योग गर्मी के महीनों में मार्च से सितंबर तक अपनी बिक्री का लगभग 70 प्रतिशत दर्ज करता है।

इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मार्च और अप्रैल के महीने थोड़े अच्छे थे, लेकिन मई उद्योग के लिए पूरी तरह से खराब रहा है।इंडियन आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IICMA) के पूर्व अध्यक्ष राजेश गांधी ने कहा कि, मार्च से मई के अवधि में उद्योग ने अपनी सामान्य बिक्री का आधा भी नहीं देखा है। अप्रैल से कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के उछाल के कारण राज्य में लागू किये गये लॉकडाउन के साथ, आइसक्रीम बिक्री में और गिरावट आई। गांधी ने कहा कि, साल दर साल घाटे ने उद्योग की नींव हिला दी है। उन्होंने कहा, हमने सरकार से जीएसटी दरों में कमी और उद्योग के जीवित रहने के लिए सॉफ्ट लोन के विस्तार जैसे राहत उपायों के लिए प्रस्ताव दिया है।

अमूल ब्रांड के तहत डेयरी उत्पाद बेचने वाले गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी ने कहा कि, अमूल ने आइसक्रीम की बिक्री में लगभग 70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। डेयरी किसान भी खपत और दूध उत्पादन में गिरावट के कारण वित्तीय नुकसान से जूझ रहे हैं। इसके अलावा, स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की कीमतों में गिरावट देखी गई है। इंदापुर स्थित सोनाई डेयरी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक दशरथ माने ने उम्मीद जताई कि, जून से प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद दूध खरीद कीमतों में फिर से मजबूती आएगी। उन्होंने कहा, दूध की आपूर्ति में कमी है, इसलिए एक बार खपत बढ़ने के बाद, हम फिर से किसानों को अच्छे दाम मिलते देखेंगे।

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