मुश्किलों भरा रहेगा २०१८-१९ का गन्ना क्रशिंग सीझन; अधिशेष चीनी के बिक्री की चुनौती

नई दिल्ली : चीनी मंडी

भारतीय चीनी उद्योग इतिहास में पहली बार ब्राजील को पछाड़कर  दुनिया का सबसे बड़ा चीनी  उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है; भारत ने २०१७-१८ में ३२० लाख मेट्रिक टन चीनी उत्पादन कर वैश्विक रिकॉर्ड तोड़ दिया है और २०१८-१९ (अक्टूबर-सितंबर) में  ३५० – ३५५  लाख टन उत्पादन का अनुमान सरकार और चीनी उद्योग द्वारा लगाया है, लेकिन उत्पादित चीनी की खपत को लेकर चीनी मिलें और सरकार भी पशोपेश में है । इसी वजह से चीनी उद्योग के जानकार २०१८-१९ का गन्ना क्रशिंग सीझन मुश्किलों भरा रहने की अटकलें लगा रहें है।

चीनी अधिशेष का सीधा असर कीमत पर…

भारत ने २०१७-१८ के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में रिकॉर्ड ३२३ लाख टन चीनी का उत्पादन किया। अगले विपणन वर्ष में २६० लाख टन की घरेलू मांग के मुकाबले यह ३५० -३५५ लाख टन बढ़ने का अनुमान है और यह देश में मौजूदा चीनी अधिशेष में जोड़ देगा।  घरेलू बाज़ार में २६० लाख मेट्रिक टन चीनी की खपत ध्यान में रखी जाए तो कम से कम ९० लाख मेट्रिक टन चीनी अतिरिक्त होने की संभावना है, जिससे बाजार में मौजूदा चीनी अधिशेष और बढ़ जायेगा । जादा अधिशेष का सीधा असर चीनी की कीमतों पर पड़ने की सम्भावना है ।

सितम्बर २०१९ तक अधिशेष चीनी का स्टॉक १९० लाख टन होने की आशंका

२०१८ में लगभग साल दर साल (YoY) की तुलना में चीनी उत्पादन में ६०  प्रतिशत उल्लेखनीय वृद्धि के परिणामस्वरूप  २० लाख टन निर्यात के सफल कार्यान्वयन अगर हो भी जाए फिर भी  देश के भीतर ९०- ९०.५ लाख मेट्रिक टन के बीच स्टॉक अतिरिक्त रह सकता  है। इस साल फिर चीनी का ३२०-३५० लाख मेट्रिक टन रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान जताया  है, १ अक्तूबर से शुरू होनेवाला गन्ना क्रशिंग सीझन ९० लाख टन अधिशेष चीनी के साथ शुरू होने जा रहा है. अगले साल भी इसी साल की तरह चीनी की घरेलू बाजार में खपत और निर्यात होती है, तो भी ३० सितम्बर २०१९ तक अधिशेष चीनी का स्टॉक १९० लाख टन होने  की आशंका है १ इसके कारण चीनी मिलों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जायेगा और इस संकट से निपटने की ताकद मिलों के पास होने की गुंजाईश काफी कम है

चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी, मगर घरेलू मांग बिल्कुल स्थिर…

अगला गन्ना क्रशिंग सीजन अक्टूबर २०१८ से शुरू होगा, लेकिन किसान अभी भी पिछले सीजन से अपनी देनदारियों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।  ८ अगस्त तक भारत में गन्ना किसानों का कुल बकाया १७,४९३ करोड़ रुपये था । २०१५-१६ में भारत में चीनी का  उत्पादन २४०.८  लाख टन से बढ़कर २०१७-१८  में ३२३ लाख टन हो गया है और २०१८-१९ में ३५५ मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है। चीनी का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन घरेलू मांग करीब २५०-२६० लाख टन स्थिर है। इसी बढ़ती विसंगति ने चीनी की कीमतों को और निराश कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप चीनी बकाया बढ़ रहा है और जो अगले गन्ना क्रशिंग सीझन में काफी मात्रा में बढने की आशंका चीनी उद्योग के सूत्र भी से जता रहा है ।

चीनी उत्पादन के साथ-साथ मुश्किलें भी बढ़ेगी…

लेकिन घरेलू और वैश्विक बाजारों में चीनी की कीमतों में कमी  के कारण देश के गन्ना उत्पादकों की बकाया राशि की समस्या गंभीर हुई है, चीनी उद्योग को कठिन परिस्थितियों  का सामना करना पड़ रहा है।  आंकड़ों के मुताबिक यदि अगस्त २०१८ तक देश भर में चीनी कुल खपत २३०-२३२ लाख टन है और आने वाले महीनों में २० लाख टन निर्यात की जाएगी।  आकड़ें बताते है की,  आने वाले सीजन तक  देश में कुल खपत  २५०-२५२ लाख टन होगी, जिसका मतलब है कि लगभग ९८-१०० लाख टन चीनी का स्टॉक फिर भी बाकि है। चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन और खपत में कमी के चलते सरकार और उद्योग के सामने मुश्किलें और बढनेवाली है ।

अधिशेष से निपटने के लिए चीनी निर्यात को बढ़ावा देना ही एकमात्र विकल्प…

भारत का घरेलू चीनी बाजार दिक्कतों से गुजर रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार चीनी की कीमत गिर रही है। २०१७-१८ में उच्च चीनी गन्ना उत्पादन ने समस्या को और जटिल बनाया है । सरकार ने चीनी मिलों के साथ-साथ गन्ना उत्पादकों की मदद के लिए  निर्यात में वृद्धि, और चीनी के वैकल्पिक बाजारों को ढूंढना जारी रखा है । हालांकि, ये दोनों विकल्प जटिल हैं, क्योंकि चीनी की कीमतें घरेलू और वैश्विक बाजार में कम हैं और चीनी का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। देश में अधिशेष चीनी  समस्या से निपटने के लिए सरकार  के सामने केवल चीनी निर्यात को हर हाल में बढ़ावा देने के सिवाय  कोई अन्य विकल्प ही नही है ।

SOURCEChiniMandi

1 COMMENT

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