चीनी मिलों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए दो कारखानों के बीच दूरी कम करने की मांग

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मुंबई : चीनीमंडी

स्वाभिमानी शेतकारी संगठन (एसएसएस ) ने मिलरों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और किसानों को बेहतर दर प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए दो चीनी मिलों के बीच हवाई दूरी मानदंड को हटाने की मांग की है। संगठन ने चीनी उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए एक खुले बाजार का आह्वान किया है।

संगठन की मांग के जवाब में, महाराष्ट्र चीनी आयुक्त ने समय मांगा और पड़ोसी गन्ना राज्यों से रिपोर्ट मांगी है। अन्य राज्यों में, दो चीनी मिलों के बीच हवाई दूरी 15 किलोमीटर तय की गई है। दिलचस्प है, महाराष्ट्र में, हवाई दूरी 25 किमी तय की गई है, जिसका मतलब है कि इस दूरी के भीतर एक और चीनी मिल स्थापित नहीं कि जा सकती है।

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रवक्ता योगेश पांडे ने कहा कि, प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए और किसानों को उसकी फसल के अच्छे दाम मिलने के लिए मिलों के बीच की हवाई दूरी मानदंड को दूर करने की आवश्यकता है। मिल स्थापित करने के लिए अनिवार्य 25 किलोमीटर की दूरी का मतलब है कि, गन्ने पर एकाधिकार निर्माण होता है। इससे बुआई और परिवहन (एचएंडटी) लागत में विसंगति पैदा होती है।

उन्होंने कहा की, वर्षों से राज्य में किसी भी नए मिल को अनुमति नहीं मिली है, इन मौजूदा मिलों ने अपनी पेराई क्षमताओं में वृद्धि की है और कुछ ने क्षमता दोगुनी कर दी है। मिलों के बीच हवाई दूरी शुरू में तय की गई थी कि, क्योंकि इससे मिलों की अर्थव्यवस्था पटरी से न उतरे और मिलरों के लिए कच्चे माल की कोई कमी न हो। लेकिन मिलों ने किसानों के एफआरपी बिल से परिवहन लागत के रूप में 481 से 908 रुपये प्रति टन की कटौती की है। निजी मिलें तो सहकारी मिलों की तुलना में किसान के गन्ने के बिलों से अधिक पैसा काट रही हैं।

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