चीनी मिलों और गन्ना किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए 15 प्रतिशत इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने की मंजूरी देने की मांग

नई दिल्ली, 18 नवम्बर: देश में चीनी का उत्पादन संतुलित कर इथेनॉल का घरेलू उत्पादन बढाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। ताकि पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती समस्या को कम करने के साथ गन्ना किसानों और चीनी मिलों को आर्थिक सहारा देकर चीनी उद्योग को नगद प्रवाह से जुडी समस्याओं से निजात दिलाई जा सके। इसके लिए सरकार ने पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने की 10 फीसदी की बाध्यता शुरु कर वाहन प्रदूषण को कम करने और चीनी उद्यमियों को राहत देने का काम किया है।

इथेनॉल इंडस्ट्री की वर्तमान स्थितियों को लेकर इंडियन सुगर मिल एसोशियेसन यानि इस्मा के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने कहा कि सरकार ने पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने के निर्देश देते हुए गन्ने के रस से सीधे इथेनॉल बनाने की स्वीकृति दी है। इसके लिए इडंस्ट्री को साढे चार हजार करो़ड का रुपया सोफ्ट लोन के रुप में दिया गया और इथेनॉल का रेट बढ़ाकर 59 रुपये 48 पैसे किया ताकि चीनी उद्योग के लिए इथेनॉल के उत्पाद के ज़रिए वित्तीय समायोजन के विकल्प तैयार किए जा सके। वर्मा ने कहा कि इन सबके बावजूद बहुत कुछ किए जाने की ज़रूरत है।

वर्मा ने कहा कि अगर हम वैश्विक बाजार की बात करें तो दुनिया में ब्राजील जैसे कई देश है जहां 35 से 40 प्रतिशत इथेनॉल पेट्रोल में मिलाया जाता है। हमारे यहां स्थिति विपरित है। भारत सरकार के आदेश के बावजदू अभी तक इंधन कंपनियां पैट्रोल में पांच प्रतिशत से ज्यादा इथेनॉल में नहीं मिला रही। चीनी मिल वाले कहते है हम इथेनॉल की इंडस्ट्री लगाना चाहते है। सरकार कह रही है कि हम पैसा दे रहे है। लेकिन ये इथेनॉल बनने के बाद जाएगा कहां। यदि इस इथेनॉल को पेट्रोल में नही मिलाएंगे तो कहां उपयोग में लाएंगे। वर्मा ने भारत सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि देश में कम से कम 15 प्रतिशत इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने की अनिवार्यता सुनिश्चित करे ताकि वैश्विक बाज़ार की तुलना में हम यहां भी कुछ अच्छा करें। आज की तारीख में लगभग तीन करोड लीटर इथेनॉल बन रहा है। इसमें से दो करोड 70 लाख लीटर का उपयोग शराब बनाने में हो रहा है। बाकी बचा इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाया जा रहा है। इस तरह पांच प्रतिशत या इससे थोडा ज्य़ादा इथेनॉल इंधन में मिलाया जा रहा है। वर्मा ने कहा कि सरकार इस अनिवार्यता को सख्ती से लागू करे तो इसके कई फायदे हो सकते है। एक तो विदेश से हम क्रूड ऑयल आय़ात कर रहे है वो नहीं करना पडेगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा। इससे पैट्रोल कम्पनियो को भी फायदा होगा। लेकिन फिर भी पैट्रोल कम्पनियाँ इसमें रुची नहीं ले रही है। उन पर ऑटो इंडस्ट्री का दबाव है। वर्मा ने कहा कि इंधन में इथेनॉल मिश्रण क लेकर सरकार को आदेश किए तीन साल हो गए है। सरकार पेट्रोल कम्पनियों को कहे कि इंधन में इथेनॉल 10 से शुरु कर 15-20 प्रतिशत तक ले जाए। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पडने वाला है। अगर ऐसा हो जाता है तो गन्ना भी 400 से 450 क्विंटल बिकेगा। चीनी मिलें भी फ़ायदे में रहेंगी और समय पर गन्ना किसानों को उनका पेमेंट भी मिल जाएगा।

खबर को लेकर हमारे प्रतिनिधि ने जब ऑयल इंडस्ट्री के अधिकारी से बात की तो नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा कि अगर हम 5 प्रतिशत इथेनॉल की जगह 10 प्रतिशत इथेनॉल पेट्रोल में मिलाते हैं तो यही इथेनॉल पानी और वाष्प के संपर्क में आकर द्रव में बदल जाता है जो बाद में वाहनों के इंजन को प्रभावित करता है। इसके अलावा पेट्रोल में पानी मिलाने की शिकायतों को लेकर भी आए दिन ग्राहक और पेट्रोल प्रबंधकों के बीच विवाद की भी खबरें आती रहती है। इसलिये हम चाहकर भी इसमें रुचि नहीं ले पा रहे हैं ।

इंडस्ट्री और ऑयल निर्माण के काम में लगी कम्पनियों के अपने अपने तर्क है लेकिन इथेनॉल प्लांट लगा रही चीनी मिलों के इथेनॉल का उपयोग कहाँ होना है इस समस्या का समाधान सरकार को समय रहते करना है ताकि आने वाले समय में इथेनॉल का जो उत्पादन होगा उसका ज़रूरत के मुताबिक़ सही उपयोग भी हो ताकि चीनी मिलों और गन्ना किसानों को लाभ देने के साथ देश में ईंधन आयात निर्भरता को कम कर अर्थव्यवस्था को भी मज़बूत बनाया जा सके।

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