चेन्नई : कुल ₹5,617 करोड़ का कारोबार करने वाली चीनी उद्योग की एक प्रमुख कंपनी मुरुगप्पा समूह की ई.आई.डी.-पैरी (इंडिया) लिमिटेड दक्षिण भारत में छह चीनी मिले चलाती है। कंपनी ने अपना मोर्चा अब एथेनॉल उत्पादन की ओर बढ़ाया है। यह उद्योग समूह एथेनॉल सम्मिश्रण और खाद्य और पोषण जैसे उभरते व्यावसायिक क्षेत्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहता है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुथु मुरुगप्पन ने द बिजनेस लाइन से कंपनी की विकास योजनाओं और उभरते व्यवसायों के बारे में बात की।
उन्होंने कहा की चालू चीनी वर्ष में चीनी से एथेनॉल में डायवर्सन (वर्ष 2021-22 में 3.2 मिलियन टन डायवर्ट किए जाने की तुलना में) 4-4.5 मिलियन टन अनुमानित है। पेट्रोल के साथ एथेनॉल मिलाने का अवसर एक बड़ी पहल है और हमने इस कार्यक्रम का हमेशा स्वागत किया है। इस मांग में से अधिकांश वर्तमान में गन्ना आधारित एथेनॉल या गन्ना फीडस्टॉक द्वारा पूरी की जाती है, जो मोलासेस और सिरप दोनों है। इसमें से करीब 70 करोड़ लीटर डेढ़ साल के भीतर गन्ने से बने एथेनॉल से आएगा। शेष अनाज आधारित डिस्टलरी से आना चाहिए।
मुरुगप्पन ने कहा की एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम से भी उद्योग को मदद मिली है और किसानों के बकाये का समय पर भुगतान सुनिश्चित हुआ है।हमने अपने आसवनी की क्षमता में भी लगातार वृद्धि की है। इस बिंदु पर, हमारे पास प्रतिदिन 475 किलोलीटर (केएलपीडी) की क्षमता है। हम जो नए निवेश कर रहे हैं, उसकी क्षमता अगले साल की पहली तिमाही की शुरुआत तक 600 केएलपीडी के करीब पहुंच जाएगी। इस वित्तीय वर्ष में हम अपनी डिस्टिलरीज की क्षमता बढ़ाने के लिए करीब 275 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। एक हिस्से का उपयोग हमारे पर्यावरण सुरक्षा अनुपालन को मजबूत करने के लिए भी किया जाएगा।