इथेनॉल सम्मिश्रण: तेल आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भारत का 50,000 करोड़ रुपये का दांव

नई दिल्ली: भारत इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 7 बिलियन डॉलर खर्च करने के लिए तैयार है, क्योंकि इससे तेल आयात पर अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी। भारत के तेल सचिव तरुण कपूर ने शुक्रवार को ब्लूमबर्ग टेलीविजन को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि, 2025 तक 20% इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर साल लगभग 10 बिलियन लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि, यह नवंबर 2021 को समाप्त होने वाले वर्ष की 9% की तुलना में तिगुना लक्ष्य है। इस कदम के लिए नई जैव-रिफाइनरियों के निर्माण के लिए लगभग 50,000 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी।

इस महीने की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक 20% इथेनॉल के साथ गैसोलीन बनाने के देश के लक्ष्य को आगे बढ़ाया, जिससे सालाना 4 बिलियन डॉलर की बचत होने की उम्मीद है। यह दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक में अक्षय ऊर्जा के उपयोग का विस्तार करेगा और देश के अधिशेष चावल और क्षतिग्रस्त खाद्यान्न को इथेनॉल में बदलने में मदद करेगा। कपूर ने कहा कि, भारत का अधिकांश इथेनॉल उत्पादन वर्तमान में गन्ने के शीरे से होता है, लेकिन अब गैर-चीनी स्रोतों से अधिक उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। सरकार कच्चे माल के रूप में मोलासिस और अनाज पर निर्भर आसवन इकाइयों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता की पेशकश कर रही है।

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