मिश्रण में गिरावट के डर से एथेनॉल दरों में बढ़ोतरी

नई दिल्ली : भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा एथेनॉल उत्पादन के लिए चावल की आपूर्ति रोकने के बाद इस वर्ष 12 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्य हासिल करने के लिए, सरकार ने डिस्टिलरीज को उत्पादन बढ़ाने में मदद करने के लिए चावल और मक्का से बने एथेनॉल की कीमतें बढ़ा दी हैं। हालांकि, शीर्ष अधिकारियों ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है।

व्यापार सूत्रों के अनुसार, तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा एथेनॉल वर्ष (31 अक्टूबर, 2023 तक) के लिए क्षतिग्रस्त/टूटे हुए चावल (खुले बाजार से खरीदे गए) से उत्पादित एथेनॉल की खरीद कीमत प्रति लीटर ₹4.75 बढ़ाकर ₹60.29/लीटर कर दी गई है। साथ ही मक्के से उत्पादित एथेनॉल की कीमत में ₹6.01/लीटर की बढ़ोतरी की गई है, और अब नई दर ₹62.36/लीटर होगी।सूत्रों ने बताया कि, दोनों नई दरें 7 अगस्त से प्रभावी होंगी। हालांकि, सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कीमत बढ़ोतरी की मंजूरी से इनकार नहीं करते हुए कहा कि, अभी अधिसूचना प्रकाशित होनी बाकी है।कुछ अन्य अधिकारियों ने भी कीमतों में बढ़ोतरी से इनकार नहीं किया।

दिसंबर 2022 से एथेनॉल सीज़न शुरू होने के बाद से 23 जून तक ओएमसी ने 11.77 प्रतिशत मिश्रण हासिल किया है।सरकार ने मौजूदा एथेनॉल सीज़न को 2023-24 सीज़न से घटाकर 11 महीने कर दिया है, इसे नवंबर से अक्टूबर तक चलाने के लिए बदल दिया गया है।एफसीआई द्वारा चावल जारी करना बंद करने के बाद जुलाई में कई डिस्टिलरीज ने परिचालन बंद कर दिया और उद्योग ने पहले सरकार को सूचित किया था की यदि डिस्टिलरीज अगस्त-अक्टूबर के दौरान काम नहीं करते है, तो मौजूदा स्तर से सम्मिश्रण दर में गिरावट की संभावना है।

खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने 4 अगस्त को कहा कि, गन्ने की अपेक्षित उच्च उपलब्धता के मद्देनजर अगले सीजन के लिए संशोधित एथेनॉल कीमतों की सिफारिश करने के लिए एक अंतर मंत्रालयी समूह का गठन किया गया है, जिससे एथेनॉल की ओर रुझान बढ़ सकता है। लेकिन उन्होंने चालू सीजन के लिए ही कुछ फ़ीड स्टॉक से उत्पादित एथेनॉल की कीमतों में संशोधन (बढ़ोतरी) की सिफारिश करने की संभावना से इनकार नहीं किया। समिति एक महीने में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कर सकती है क्योंकि नया एथेनॉल सीजन 1 नवंबर से शुरू होगा।

खाद्य मंत्रालय को उम्मीद है कि, इस सीजन में लगभग 4 मिलियन टन चीनी के मुकाबले लगभग 5.5 मिलियन टन चीनी को एथेनॉल की ओर मोड़ा जा सकता है। चीनी उद्योग ने 4.5 मिलियन टन के डायवर्सन का अनुमान लगाया है। दरअसल, चीनी को एथेनॉल के उत्पादन में नहीं लगाया जाता है, जो गुड़ (चीनी के उप-उत्पाद) या गन्ने के रस/सिरप से बनता है।डायवर्सन का अनुमान इस बात पर आधारित है कि, गन्ने की उसी मात्रा से कितनी मात्रा में चीनी का उत्पादन किया जा सकता था जिसे एथेनॉल की ओर मोड़ दिया जाता है।

जुलाई के मध्य से, एफसीआई ने एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए ₹20/किग्रा चावल की आपूर्ति बंद कर दी है, जिसके लिए कर्नाटक को मानव उपभोग के लिए ₹31/ पर चावल की आपूर्ति के संबंध में 24 घंटे के भीतर मंजूरी वापस लेने के कारण पैदा हुए राजनीतिक विवाद को जिम्मेदार ठहराया गया है।

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