एथेनॉल सुरक्षित और टिकाऊ: WISMA ने E20 ईंधन पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के स्पष्टीकरण का समर्थन किया

पुणे: वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) द्वारा हाल ही में जारी किए गए स्पष्टीकरण का पुरजोर समर्थन किया है, जिसमें वाहनों पर 20% एथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (E20) के प्रभाव को लेकर उठाई गई निराधार चिंताओं का समाधान किया गया है। WISMA के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे और कार्यकारी निदेशक अजीत चौगुले ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि, मंत्रालय ने व्यापक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय शोध का हवाला देते हुए सही ही कहा है कि पुराने वाहनों में भी E20 का इंजन के प्रदर्शन, ईंधन दक्षता या टिकाऊपन पर कोई महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI), भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (IIP) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा किए गए व्यापक परीक्षण ने विभिन्न प्रकार के वाहनों में E20 की यांत्रिक और भौतिक अनुकूलता स्थापित की है।

एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (EBP) से किसानों को सशक्त बनाने, कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और भारत की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त हुए हैं। ‘विस्मा’ के अनुसार,उल्लेखनीय उपलब्धियों में निम्नलिखित शामिल हैं:

1) पर्यावरणीय लाभ : एथेनॉल मिश्रण ने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 700 मिलियन टन से अधिक कम करने में मदद की है, जिससे भारत के जलवायु परिवर्तन शमन लक्ष्यों और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं में योगदान मिला है।

2) ऊर्जा सुरक्षा : E20 मिश्रण ने कच्चे तेल के आयात पर भारत की निर्भरता को कम किया है, जिससे 2014-15 से अब तक ₹1.2 लाख करोड़ से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है।

3) किसान सशक्तिकरण : एथेनॉल उत्पादन ने किसानों को ₹1.04 लाख करोड़ से अधिक प्रदान किए हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।

ईबीपी ने चीनी उद्योग को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे किसानों को गन्ने का समय पर भुगतान सुनिश्चित हुआ है, सरकारी वित्तीय सहायता पर निर्भरता कम हुई है और भारत की ग्रामीण जैव-अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा मिला है। स्वदेशी, नवीकरणीय ईंधन स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देकर, यह कार्यक्रम देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है। इथेनॉल सम्मिश्रण एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित, आर्थिक रूप से समावेशी और पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी पहल है। यह भारत की जैव ईंधन नीति और ग्रामीण परिवर्तन का एक प्रमुख आधार है। बयान में कहा गया है कि चीनी क्षेत्र पूरी तरह से राष्ट्रीय एथेनॉल रोडमैप के अनुरूप है और ‘विस्मा’ उत्पादन क्षमता को E20 और उससे भी आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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