उत्तर प्रदेश की सहकारी गन्ना एवं विकास समितियों में फार्म मशीनरी बैंक को दिया जा रहा है बढ़ावा

लखनऊ स्थित लाल बहादुर शास्त्री गन्ना किसान संस्थान के ऑडिटोरियम में कल बड़े धूमधाम के साथ जी.एस.ए. इंडस्ट्रीज द्वारा एग्रीजोन गौरव दिवस का आयोजन किया गया। कल आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में संयुक्त गन्ना आयुक्त डा. वी.बी. सिंह भी उपस्थित रहे।

‘‘एग्रीजोन गौरव दिवस‘‘ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने प्रदेश के विभिन्न जिलों से कार्यक्रम में आये हुये प्रगतिशील किसानों, ग्राम प्रधानों, विभिन्न कृषक संगठनों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश के मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की प्रेरणा एवं मा. गंन्ना मंत्री श्री लक्ष्मी नारायन चौधरी जी द्वारा दिये गये निर्देशानुपालन में प्रदेश की गन्ना एवं चीनी मिल समितियों के कृषकों को सहूलियत प्रदान करने एवं मशीनीकरण को बढ़ावा देने हेतु प्रदेश की 146 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में गन्ना किसानों के उपयोगार्थ फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए गए हैं। किसानों को फसलों की बुवाई-कटाई करने में काफी मेहनत और कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। यह सभी कार्य आधुनिक कृषि यंत्रों के सहायता से काफी सरल हो जाते हैं।

श्री भूसरेड्डी ने यह भी कहा कि फार्म मशीनरी बैंक योजना का मुख्य उद्देश्य गन्ना विकास विभाग के अन्तर्गत सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक खोलकर किसानों को मामूली किराया दर पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराना है, जिससे प्रदेश के गन्ना किसान कम मेहनत एवं कम समय में अधिक उत्पादन प्राप्त कर लाभ अर्जित कर सकें। फार्म मशीनरी बैंक के माध्यम से न केवल गन्ने की खेती करने में सुगमता होगी, अपितु प्रदेश के पंजीकृत गन्ना कृषक सदस्यों को न्यूनतम किराये पर आधुनिक कृषि यंत्र भी उपलब्ध हो सकेगें।

उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में फार्म मशीनरी बैंकों में तीन प्रकार के फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्र उपलब्ध है तथा समर्थ 74 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में ट्रैक्टर के साथ गन्ना खेती में उपयोगी उन्नत कृषि यंत्र- रैटून मैनेजमेन्ट डिवाइस, ऑटोमैटिक शुगर केन प्लान्टर, आटोमैटिक शुगर केन ट्रेंचप्लान्टर, चीजलर, पावर स्प्रेयर भी फार्म मशीनरी बैंक के अन्तर्गत किराये पर उपलब्ध कराये जाने की प्रक्रिया अन्तिम चरण में चल रही है। नैनो यूरिया के छिड़काव के लिए विभाग 30 ड्रोन भी फार्म मशीनरी बैंक में शामिल कर रहा है जिसकी प्रक्रिया गतिमान है। परम्परागत कृषि विधियों के साथ-साथ आज का युवा गन्ना किसान तकनीक को भी अपना रहा है, जिसके लिए आधुनिक कृषि यंत्रों की आवश्यकता रहती है।

श्री भूसरेड्डी ने कहा कि गन्ने की खेती में आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग से गन्ना किसानों की आय में तो वृद्धि होगी ही, साथ ही कृषि यंत्रों की खरीद पर होने वाले अनावश्यक व्यय से भी छोटे और मझोले किसानों को निजात मिलेगी। फार्म मशीनरी बैंक ने, न केवल गन्ने की खेती की राह आसान की है, बल्कि किसानों की समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त किया है। फार्म मशीनरी बैंक में उपलब्ध कृषि यंत्रों से समिति को जो किराया प्राप्त होगा, उस किराये से कृषि यंत्रो के मूल्य व रख-रखाव पर आने वाले व्यय को निकालने के पश्चात बची हुई धनराशि को भी विकास कार्यों में लगाया जायेगा।

गौरतलब है कि एक फार्म मशीनरी बैंक से पाँच युवकों को रोजगार प्राप्त होगा, क्योंकि इस हेतु विभाग द्वारा पाँच युवकों की पंच उद्यमी संस्था की स्थापना कराकर फार्म मशीनरी बैंक के संचालन का दायित्व प्रदान करने के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश निर्गत कर दिए गए हैं। युवा उद्यमी समितियों से कृषि यंत्रों को लेकर कृषकों के खेतों में जुताई आदि का कार्य करेंगें एवं कार्य समाप्त होने पर समिति तक पहुँचायेंगें, जिसके लिए उन्हें गन्ना समितियों द्वारा निर्धारित पारिश्रमिक भी दिया जायेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्रों से जहाँ एक ओर पराली प्रबन्धन के फलस्वरूप भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर पराली आदि के जलाने पर अंकुश स्थापित करके वायु प्रदूषण पर भी नियंत्रण स्थपित हो रहा है। केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के कुशल दिशा-निर्देशन में इन-सीटू व स्मैम योजना को लागू करके प्रदेश के किसानों को फसल अवशेष प्रबन्धन के साथ-साथ अधिक लागत वाले उन्नतशील कृषि यंत्रों का लाभ छोटे एवं सीमान्त कृषकों को उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, जो उनकी लागत को कम करने एवं आय को दोगुना करने में निश्चित रूप सहायक सिद्ध होगा।

श्री भूसरेड्डी द्वारा गन्ना किसानों को आय में वृद्धि करने का मंत्र भी दिया, जिसके तहत गन्ने की उपज बढ़ाने के लिए उन्होनें गन्ना खेती में पंचामृत विधि को अपनाने की सलाह दी। यह विधि गन्ने की खेती में संजीवनी का कार्य करेगी। इस विधि के अन्तर्गत ट्रेंच विधि द्वारा बुवाई, ट्रेश मल्चिंग, पेड़ी पं्रबन्धन, ड्रिप इरीगेशन, सहफसली आदि को अपनाकर गन्ने की खेती की जाती है। यह विधि गन्ना किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों पर आधारित है।

उन्होंने गन्ना विकास विभाग की योजनाओं के संबंध में भी बताते हुए कहा कि विभाग द्वारा युवा किसानों एवं ग्रामीण महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी सभी योजनाओं में स्थान दिया गया है। गन्ना विकास विभाग की उत्कृष्ट कार्य योजना के माध्यम से युवा किसानों, महिला उद्यमियों, सहकारी गन्ना विकास समितियों, को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार स्वरूप रू.51,000, 31,000, 21,000 के नकद पुरस्कार विजेताओं को प्रदान किया जाता है। चीनी मिलों को भी प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह आदि प्रदान कर सम्मानित किया जा रहा है।

एग्रीजोन गौरव दिवस कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि संयुक्त गन्ना आयुक्त, डा. वी.बी. सिंह ने भी प्रदेश की सहकारी गन्ना विकास समितियों के कार्य-कलापों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला एवं आज लान्च हुई मशीनों के संबंध में बताते हुए कहा कि “नया सुपर सीडर एक मल्टीपरपज, नए युग की मशीन है, जिसे किसानों की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। यह किसानों के ट्रैक्टर के लिए बढ़ी हुई ईंधन दक्षता, हैवी-ड्यूटी पावर ट्रांसमिशन, आदि उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि “नई सुपर सीडर श्रृंखला एक लागत प्रभावी समाधान है एवं सभी ट्रैक्टरों के लिए बहुत उपयुक्त है।

अपर मुख्य सचिव एवं संयुक्त गन्ना आयुक्त के साथ जी.एस.ए. इण्डस्ट्रीज की प्रबंधन टीम द्वारा मशीनों की विधिवत् पूजा-अर्चना करते हुए फीता काटकर मशीनों की लान्चिंग की गयी। कार्यक्रम के अन्तिम चरण में अपर मुख्य सचिव द्वारा गन्ना किसानों से संवाद किया गया तथा उनके जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।

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