महाराष्ट्र में कई चीनी मिलें इस पेराई सीजन में नहीं लेंगी भाग

कोल्हापुर: महाराष्ट्र में गन्ना पेराई सत्र कगार पर है, लेकिन इस बार गन्ने की पेराई के लिए लाइसेंस लेने वाले निजी और सहकारी चीनी मिलों की संख्या पिछले साल की तुलना में कम है और तेजी से गिरने की उम्मीद है।

खबरों क मुताबिक अधिकांश चीनी मिलों ने राजनीतिक मजबूरियों के कारण लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, लेकिन वास्तविक संख्या कम हो सकती है।

गन्ने की पेराई के लिए लाइसेंस करने की डेडलाइन आज खत्म हो जायेगी। कई कारणों के वजह से इस बार कई मिलें पेराई में हिसा नहीं ले सकेंगी। सरकार उन चीनी मिलों को लाइसेंस नहीं देने पर अड़ी है जो किसानों को उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) के आधार पर भुगतान करने में विफल रहे हैं।

चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने कहा की चीनी मिलों को किसानों के बिलों के भुगतान में देरी पर 15 प्रतिशत ब्याज देना होगा। उन्होंने कहा की मिलों को लिखित प्रतिबद्धता की प्राप्ति के बाद पेराई लाइसेंस दिया जा सकता है कि वे ब्याज के साथ बकाया राशि को चुकाएंगे।

पश्चिमी महाराष्ट्र में अधिक बारिश और मराठवाड़ा में सूखे के कारण पेराई के लिए चीनी मिलों की संख्या कम हो गई है। पश्चिमी महाराष्ट्र में बाढ़ के कारण गन्ने की फसल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है, मराठवाड़ा में पानी की कमी के कारण फसल प्रभावित हुई है। बाढ़ और आचार संहिता के कारण 2019-20 सीज़न में पहले ही एक महीने की देरी हो चुकी है। खबरों के मुताबिक राज्य में नई सरकार के गठन के बाद ही पेराई सीजन शुरू होने की उम्मीद है।

खबरों के मुताबिक, पिछले सीजन 195 की तुलना में इस सीजन में 159 मिलों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है।

महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ फेडरेशन के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर ने कहा कि अहमदनगर, सोलापुर और मराठवाड़ा जैसे जिलों में स्थिति गंभीर होगी क्योंकि इन स्थानों पर कई चीनी मिलें इस बार पेराई में भाग नहीं ले पाएंगी। उन्होंने कहा की वे नई सरकार से इस खराब परिस्थिति पर चर्चा करेंगे।

2018-19 के पेराई सत्र में, राज्य सरकार ने राजस्व वसूली अधिनियम के तहत 97 मिलों को नोटिस भेजकर किसानों को एफआरपी-आधारित बकाया का भुगतान न करने पर कड़ा रुख अपनाया है।

यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here