चीनी मिलों की कार्यक्षमता बढाने के लिये दी जा रही है वित्तीय मदद

चंडीगढ़, 12 अगस्त: पंजाब सरकार सूबे में गन्ना किसान और चीनी मीलों के आर्थिक उन्नयन के लिए कैबिनेट में एक से बढ़ कर एक निर्णय ले रही है। सूबे के किसान और मिलों की ग्राउंड रिपोर्ट लेकर जीर्ण शीर्ण पड़ी पुरानी चीनी मिलों को तकनीकी सुविधाओं से अपग्रेड किया जा रहा है और वहीं कई चीनी मिलों को वित्तीय राशि आवंटित कर उनकी पैराई क्षमता मे इज़ाफ़ा किया जा रहा है। इसकी राजनैतिक वजह जो भी हो लेकिन हकीकत ये भी है कि पंजाब के कई जिले गन्ना हब है और वहाँ खेती करने वाले अधिकांश किसान गन्ना उत्पादन करने में रूचि रखते है। इसके अलावा अधिकांश ग्रामीण आबादी चीनी मिलों में काम कर अपना पेट पालती है। इस विशाल आबादी को ख़ुश रखने के लिए सरकार यहाँ चीनी मिलों को प्रौत्साहन दे रही है।

यही वजह है कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में नई सरकार बनते ही सरकार ने गन्ना किसानों के हित में फ़ैसले लेने के साथ चीनी मिलों की कार्यक्षमता बढ़ाने का निर्णय लिया था। उसी के फ़ॉलोअप में कैप्टन सरकार ने जिला स्तर पर सर्वे कराकर चीनी मिलों को माली हालत से बाहर निकालने का प्लान बनाया है।

इस संदर्भ में मीडिया से बात करते हुए प्रदेश के सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह ने कहा कि सूबे में शुरु हुई किसान हितैषी नीति के तहत हम नीजि चीनी मिलों को सॉफ़्ट लॉन दे रहे है तो सहकारी मिलों को वित्तीय मदद कर उनका अपग्रेड करने का अभियान चला रहे है। मंत्री ने कहा कि तक़रीबन हर गन्ना उत्पादक जिले में हम एक चीनी मिल को आधुनिक करने की कोशिश कर रहे है। इसी क्रम में जालंधर के पास स्थित भोगपुर चीनी मिल का विस्तार किया जा रहा है। इस चीनी मिल की कार्यक्षमता बढाने के लिए 108 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। मंत्री सुखजिंदर सिंह ने कहा कि ये चीनी मिल आज़ादी के तुरन्त बाद बनी थी। 60 साल से भी अधिक समय हो गया इसे चलते इस मिल से हज़ारों गन्ना किसानों और सैंकड़ों कामगारों का भविष्य जुड़ा है। इसी को ध्यान में रखते हुए हम इसे तकनीकी रुप से आधुनिक करने का काम कर रहे है। मंत्री ने कहा कि फ़िलहाल इस मिल की पेराई क्षमता काफ़ी कम है, जिसे बढ़ाकर 3,000 टन प्रतिदिन किया जाएगा। इस मिल के 2019-2020 के पेराई सत्र में सुचारु होने की संभावना है।

मंत्री ने कहा कि पंजाब के भोजपुर की इस प्रतिष्ठित चीनी मिल से सटे जालंधर और आसपास गाँवों में तक़रीबन 13,000 हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती की जाती है ऐसे में उम्मीद है कि इस मिल की कार्यक्षमता बढ़ने से न केवल गन्ना पैराई में किसानों को इन्तज़ार करने से राहत मिलेगी बल्कि कम समय में ज्यादा उत्पादन होने से चीनी मिल की आमदनी में भी वृद्धि होगी।

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