चीनी मिलों में उत्पादित चीनी, शीरा, बगास, प्रेसमड के बिक्री से उपलब्ध होने वाली धनराशि का गन्ना मूल्य भुगतान के लिए किया गया टैगिंग

लखनऊ: प्रदेश के गन्ना किसानों को त्वरित गन्ना मूल्य भुगतान कराने की शीर्ष प्राथमिकता के क्रम में माननीय मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देशों एवं मा. गन्ना मंत्री श्री सुरेश राणा के मार्गदर्शन में गन्ना विकास विभाग लगातार प्रयासरत है।

इस कड़ी में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुये प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि चीनी मिलों में उत्पादित चीनी, शीरा, बगास, प्रेसमड के विक्रय से उपलब्ध होने वाली धनराशि का 85 प्रतिशत अंश गन्ना मूल्य भुगतान हेतु नियत(टैग) किया गया है। जिन चीनी मिलों में कोजन एवं आसवनी इकाईयां स्थापित हैं तथा वह अपने उत्पादित बगास व शीरे का उपयोग कर रही हैं, ऐसी चीनी मिलों को शीरे एवं बगास के मूल्य के 85 प्रतिशत धनराशि के समतुल्य धनराशि आसवनी/कोजन इकाई से भुगतान हेतु निर्देश पारित किये गये हैं। सी-ग्रेड शीरे से उत्पादित एथनॉल के मूल्य का 30 प्रतिशत गन्ना मूल्य हेतु नियत किया गया है। ऐसी चीनी मिलें जो बी-हैवी मौलेसिस अथवा सीधे गन्ने के रस से एथनॉल बना रही हैं इन चीनी मिलों में उत्पादित होने वाले एथनॉल के मूल्य का 55 प्रतिशत एवं सीधे गन्ने के रस से उत्पादित होने वाले एथनॉल के मूल्य का 80 प्रतिशत अंश गन्ना मूल्य भुगतान हेतु टैग किया गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश की सभी चीनी मिलों में गन्ना मूल्य भुगतान हेतु एस्क्रो अकाउंट खुलवाया गया जिसका संचालन चीनी मिल अध्यासी एवं जिला गन्ना अधिकारी/निकटतम एस.सी.डी.आई. द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। जिन चीनी मिलों के पास कैश-क्रेडिट लिमिट नहीं है उनमें उत्पादित चीनी, शीरा, बगास एवं प्रेसमड का समस्त स्टॉक जिला गन्ना अधिकारी/उप जिलाधिकारी एवं चीनी मिल की संयुक्त अभिरक्षा में रखकर विक्रय करने एवं उनके विक्रय मूल्य से प्राप्त धनराशि को नियत प्रतिशत में एस्क्रो अकाउंट में गन्ना मूल्य भुगतान हेतु जमा करने के निर्देश पारित किये गये हैं।

श्री भूसरेड्डी ने बताया कि इस वर्ष कुछ चीनी मिलों द्वारा सेनेटाइजर का उत्पादन भी किया जा रहा है, जिससे चीनी मिलों को अतिरिक्त आय सृजित हो रही है। इसलिए किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान सुनिश्चित कराने के दृष्टिगत सेनेटाइजर उत्पादन करने वाली चीनी मिलों हेतु सेनेटाइजर के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले एथनॉल के विक्रय मूल्य का 65 प्रतिशत अंश गन्ना मूल्य भुगतान हेतु टैग करने के आदेश पारित किये गये हैं।

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब चीनी की बिक्री नगण्य थी तब विभाग द्वारा चीनी मिल के सभी उत्पादों एवं उपउत्पादों के विक्रय मूल्य की गन्ना मूल्य भुगतान हेतु टैगिंग करने के कारण ही लगभग रुपये 5,954 करोड़ का भुगतान लॉकडाउन की अवधि में गन्ना किसानों को कराना संभव हो सका। इस भुगतान में एथनॉल एवं सेनेटाइजर के विक्रय मूल्य को गन्ना मूल्य हेतु टैग करने का निर्णय महत्वपूर्ण रहा।

गन्ना आयुक्त, ने यह भी बताया कि कोविड-19 की विभीषिका के समय विभाग द्वारा सेनेटाइजर एवं एथनॉल उत्पादन ने गन्ना किसानों के भुगतान ने सहूलियत प्रदान करने के साथ-साथ सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश एवं भारतवर्ष में सेनेटाइजर की उपलब्धता भी बनाये रखी तथा उचित मूल्य में सेनेटाइजर जनसामान्य को उपलब्ध कराया गया।

यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.

1 COMMENT

  1. भुगतान का स्तर तो पिछले साल जैसा ही है पता नही गन्ना मन्त्री या गन्ना आयुक्त के कैसे आदेश होते है जिनका पालन मिल मालिकों द्वारा कभी धरातल पर दिखाई नहीं देता।
    उदाहरण थानाभवन मिल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here