नई दिल्ली: अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी ने भारत में कोविड-19 के प्रभाव, व्यापार करने के लिए देश की लोकतांत्रिक प्रणाली की प्रासंगिकता और जलवायु संकट के प्रबंधन में वैश्विक एकता की आवश्यकता का आवाहन किया। जेपी मॉर्गन इंडिया इन्वेस्टर समिट को संबोधित करते हुए, उन्होंने अडानी समूह के दृष्टिकोण और वैश्विक समन्वय के साथ भारत के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका के बारे में भी अपने विचार साझा किए। भारत को कोविड के कारण कुछ सबसे कठोर परिणामों का सामना करना पड़ा है। तमाम आलोचनाओं के बीच यह भुलाया जा रहा है कि जिस गति से भारत ने अपने टीकाकरण कार्यक्रम को गति दी है, वह बेजोड़ है।
अडानी ने कहा कि, भारत ने कभी कोई संकट नहीं खड़ा किया है, लेकिन दुनिया को संकट से उबारने में मदद के लिए हमेशा आगे आया है। उन्होंने कहा कि, भारत जैसे देशों में जलवायु सुधार की गति की आलोचना करने वालों को यह याद रखना चाहिए कि पश्चिम की आर्थिक और औद्योगिक ताकत कई सदियों गहरे कार्बन कालिख के कालीन पर बैठी है। अडानी ने कहा, भारत में वायुमंडल में अतिरिक्त कार्बन का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा हैै। अडानी ने कहा, मेरे देश में, सवा अरब से अधिक घर और रोजगार पैदा करने वाले लाखों छोटे व्यवसाय सस्ते उत्पादित बिजली की उपलब्धता पर निर्भर हैं।
2025 तक अडानी समूह के नियोजित पूंजीगत व्यय का 75 प्रतिशत से अधिक हरित प्रौद्योगिकियों में होगा। समूह अगले चार वर्षों में अपनी अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 21 प्रतिशत से 63 प्रतिशत तक तिगुना कर देगा। उन्होंने दावा किया कि, दुनिया की कोई दूसरी कंपनी इतने बड़े पैमाने पर निर्माण नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, अगले 10 वर्षों में, हम अक्षय ऊर्जा उत्पादन, घटक निर्माण, पारेषण और वितरण में 20 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे।
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