सरकार ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए किया ये ऐलान!

 

यह न्यूज़ सुनने के लिए इमेज के निचे के बटन को दबाये

नई दिल्ली : चीनी मंडी

केंद्र सरकार ने गुरुवार को चीनी उद्योग के गन्ना उत्पादकों का बढ़ता बकाया चुकाने के लिए 10,540 करोड़ रुपये के नरम (सॉफ्ट) ऋण की घोषणा की, यह एक ऐसा कदम है, जिससे ब्याज सब्सिडी के रूप में 1,054 करोड़ रुपये तक का खर्च होगा। वर्तमान विपणन वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में किसानों का गन्ना बकाया 20,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने गुरुवार को चीनी उद्योग को लगभग 7,900-10,540 करोड़ रुपये के नरम ऋण प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। आधिकारिक बयान में कहा गया है की, इस फैसले से चीनी उद्योग को अपने गन्ने के बकाया की अदायगी को स्पष्ट करने में मदद होगी। केंद्र सरकार एक साल के लिए 553 करोड़ से लेकर 1,054 करोड़ रुपये तक 7-10 प्रतिशत की दर से ब्याज सबवेंशन लागत वहन करेगा।

चीनी सीजन 2018-19 में भी अधिशेष उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है, जिसने चीनी मिलों की तरलता की स्थिति को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की गन्ना मूल्य बकाया राशि का मुद्दा पैदा हुआ है, जो 22 फरवरी, 2019 तक 20,159 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि, किसानों को उनके बकाये का भुगतान शीघ्र किया जाता है की नही केंद्र सरकार ने बैंकों से मिल मालिकों द्वारा गन्ना किसानों के बैंक खाते का विवरण मांगा है, ताकि किसानों को सीधे राशि का भुगतान किया जाए।

मिलों को अपना बकाया चुकाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, ‘सीसीईए’ ने यह भी फैसला किया है कि, स्वीकृत सॉफ्ट लोन उन इकाइयों को प्रदान किया जाएगा, जिन्होंने चीनी सीजन 2018-19 में अपने बकाये का कम से कम 25 प्रतिशत पहले ही चुकाया गया है। सॉफ्ट लोन मुहैया कराने का फ़ैसला एक पखवाड़े बाद आया है, जब केंद्र ने चीनी मिल के एक्स गेट चीनी की न्यूनतम बिक्री किमत  को 29 रुपये से 31 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ा दिया था।

हालांकि 2018-19 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में पिछले वर्ष के रिकॉर्ड 325 लाख टन से चीनी उत्पादन घटकर 307 लाख टन रहने का अनुमान है, लेकिन फिर भी उत्पादन 260 लाख टन की वार्षिक घरेलू खपत से बहुत अधिक होगा। इसके अलावा, मिलों के पास पिछले साल के उत्पादन का लगभग 100 लाख टन का स्टॉक था।

पिछले डेढ़ साल में केंद्र सरकार ने चीनी मिलों के साथ-साथ गन्ना किसानों को उबारने के लिए कई उपाय किए हैं। इन कदमों में चीनी पर आयात शुल्क को दोगुना कर 100 प्रतिशत करना और निर्यात शुल्क को समाप्त करना शामिल है। पिछले साल जून में, सरकार ने उद्योग के लिए 8,500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसमें इथेनॉल क्षमता बनाने और बढ़ाने के लिए मिलों को 4,440 करोड़ रुपये के नरम ऋण शामिल थे। यह इसके लिए 1,332 करोड़ रुपये के ब्याज उपकर को वहन कर रहा है।

चीनी के 30 लाख टन बफर स्टॉक के निर्माण के लिए लगभग 1,200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इसके अलावा, केंद्र 2018-19 विपणन वर्ष के दौरान 50 लाख टन निर्यात की सुविधा के लिए आंतरिक परिवहन, माल ढुलाई, हैंडलिंग और अन्य शुल्कों पर खर्च की भरपाई करके मिलों को 1,375 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान कर रहा है।

डाउनलोड करे चीनीमंडी न्यूज ऐप:  http://bit.ly/ChiniMandiApp  

SOURCEChiniMandi

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here