सरकार ने गन्ना किसानों को बीते एक साल में दी 55 हज़ार मशीनें

नई दिल्ली, 27 नवम्बर: दिल्ली में प्रदूषण को लेकर एनजीटी सहित सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नाराज़गी जताते हुए पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों पर इसे रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाया और किसानों पर जुर्माना लगाने के आदेश दिए। प्रदूषण का ये मुद्दा संसद में भी गूंजा। इस मसलें पर मंत्रालय में मीडिया ने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर से जब बात की तो उनका कहना था कि सरकार ने बीते पाँच सालों में गन्ना और धान उत्पादक किसानों से पराली न जलाने को लेकर कई कार्यक्रम चलाए गए है। किसानों से पराली न जलाने की अपील भी लगातार की जाती रही है। हम उनको जागरुक कर रहे है। जिसके परिणामस्वरूप बीते 5 सालों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आयी है। साल 2019-20 में ही पराली जलाने की घटनाओं में बीते साल की तुलना में 19 फ़ीसदी की कमी आयी है।

मंत्री ने कहा कि हमने गन्ना से निर्मित इथेनॉल को पैट्रोल मे मिश्रित करने के लिए नियम बनाये हैं। जिससे किसान अब गन्ने की पुआल और धान के डंठल को खेत में जलाने के बजाय इथेनॉल संयंत्र में ले जाकर दे रहे है। इसके बदले उनको वित्तीय राशि मिल रही है। मंत्री ने कहा कि हमने सरकारों को प्रेरित किया और गन्ना किसानों को फसल अवशेषों को काटने के लिए बीते एक साल में 55 हज़ार मशीनें दी। इसके अलावा हरियाणा, पंजाब और यूपी के तक़रीबन हर गन्ना व धान उत्पादक ज़िले में जागरुकता कैम्पेन चलाया है।

जावडेकर ने कहा कि सरकारी विभागों द्वारा किसानों को पराली न जलाने के लिए वैकल्पिक उपाय अपनाने की जानकारी दी जा रही है। इसके लिए किसानों के गन्ना और धान जैसे फसल अवशेषों का मूल्य संवर्धन कर तकनीक के उपयोग से उन्हे अतिरिक्त लाभ दिलाने की योजना पर काम किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि यही वजह है कि बीते साल की तुलना में इस साल वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में और इथेनॉल संयंत्र लगेंगे तो किसान पराली को जलाने के बजाय नजदीक ही स्थित इथेनॉल संयंत्र में ही गन्ने से अपशिष्ट और पुआल ले जाएंगे तो उसके उनको पैसे मिलेंगे और वो आर्थिक रूप से मज़बूत बनेंगे।

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