नई दिल्ली: पिछलें तीन सालों से देश में चीनी का रिकॉर्ड स्तर पर उत्पादन हुआ है, जिससे घरेलू और वैश्विक बाजार में चीनी की मांग से जादा आपूर्ति हुई है। कम मांग और अधिशेष चीनी के कारण कीमतों में लगातार दबाव देखा जा रहा है, जिससे मिलों के सामने तरलता का मुद्दा खड़ा हुआ है। चीनी उद्योग को संकट से बाहर निकालने केंद्र सरकार और राज्य सरकारें हर मुमकिन कोशिश कर रही है। निर्यात चीनी के लिए सब्सिडी और आयातित चीनी पर शुल्क लगाकर सरकार चीनी उद्योग को राहत देने की कोशिशों में जुटा है, इसके आगे जाकर केंद्र सरकार ने अब चीन से आयातित सैकरीन पर भी पांच साल के लिए प्रतिपूर्ति शुल्क लगा दिया है। आपको बता दे, सैकरीन भी एक प्रकार की चीनी होती है।
घरेलू उत्पादकों को सस्ते आयात से संरक्षण देने के लिए यह कदम उठाया गया है। वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिश पर राजस्व विभाग ने यह शुल्क लगाया है। डीजीटीआर ने अपनी जांच में यह निष्कर्ष निकाला कि भारत को सैकरीन का निर्यात सब्सिडी वाली कीमत पर किया जा रहा है। इससे घरेलू चीनी उद्योग को नुकसान पहुंच रहा है। सैकरीन पर 20 प्रतिशत का शुल्क लगाया जाएगा। 2018-19 में देश में सैकरीन का आयात 54 करोड़ रुपये का था। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जुलाई की अवधि में यह 28 करोड़ रुपये का रहा है। इससे पिछले वित्त वर्ष में 29 करोड़ रुपये था।
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