गन्ना बकाया भुगतान के लिए सरकार नई योजना पर कर रही है तेजी से काम

नई दिल्ली: भारी बारिश के कारण इस बार गन्ने के उत्पादन पर असर पड़ा है। खाद्य मंत्रालय ने इस बार चीनी के कम उत्पादन होने की संभावना व्यक्त की है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019-20 के पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में गिरावट की संभावना है। गत सीजन में जहां 331 लाख टन चीनी का उत्पादन था, वो वर्तमान सीजन में 280 से 290 लाख टन रहने की उम्मीद जताई जा रही है।

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन घट सकता है। उत्पादन में गिरावट का मुख्य कारण महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन में भारी गिरावट के अनुमान से है। हालही में महाराष्ट्र में बाढ़ और सूखे ने गन्ने की खेती को भारी नुकसान पहुंचाया है। कर्नाटक में भी चीनी के कम उत्पादन के अनुमान हैं।

कई चीनी मिलों में पेराई शुरु हो चुकी है और काफी सारे मिलें पेराई शुरू करने के लिए तैयार है। पिछले सीजन में सरकार ने एफआरपी प्रति क्विंटल 275 रुपए रखा था। चालू सीजन में अबतक इसकी घोषणा नहीं की गई है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में किसानों को केंद्र सरकार निर्धारित एफआरपी से गन्ने का भुगतान करती है जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु आदि में राज्य सरकारें गन्ने का राज्य परामार्श मूल्य (एसएपी) तय करती हैं।

गौरतलब है कि उप्र की चीनी मिलों में गन्ना किसानों के सबसे ज्यादा बकाया हैं। यह बकाया तकरीबन 4000 करोड़ रुपए का है। किसानों के भारी आंदोलन के चलते राज्य सरकार ने उप्र की चीनी मिलों को 31 अक्तूबर तक किसानों के सारे बकाये चुकाने का आदेश दिया है। खबरों के मुताबिक, इस बीच सरकार गन्ना किसानों का बकाया भुगतान के लिए एक नई योजना पर तेजी से काम कर रही है।

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