चीनी अधिशेष को कम करने के लिए इथेनॉल की कीमतों में हो सकती है बढ़ोतरी

नई दिल्ली: चीनी अधिशेष को लेकर सरकार भी गंभीर दिखती हुई नज़र आ रही है और इसको कम करने के लिए विभिन उपाय पर कम कर रही है। सरकार घरेलू बाजार में चीनी अधिशेष को कम करने के लिए इथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी पर विचार कर रही है। खबरों के मुताबिक, तेल मंत्रालय जल्द ही 2019-20 के लिए बी-हैवी मोलेसेस और 100 प्रतिशत गन्ने के रस से इथेनॉल बनाने वाली चीनी मिलों को तेल विपणन कंपनियों द्वारा दी जाने वाली कीमत को बढ़ाने के लिए जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी ले सकती है।

अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकार 100 प्रतिशत गन्ने के रस से बने इथेनॉल के दाम 50 पैसे और बी-हैवी मोलेसेस से 1-1.50 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा सकती है। फ़िलहाल में, सरकार ने बी-हैवी मोलेसेस से उत्पादित इथेनॉल की कीमत 52.43 रुपये और सीधे गन्ने के रस से बनी इथेनॉल की 59.13 रुपये प्रति लीटर निर्धारित की है। सी-हैवी मोलेसेस से प्राप्त इथेनॉल की कीमत वर्तमान में 43.46 रुपये प्रति लीटर है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का भी मानना है कि चीनी उद्योग चीनी की अधिशेष से जूझ रहा है और इथेनॉल उत्पादन चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगा और साथ ही साथ चीनी अधिशेष को भी कम करने में मददगार साबित होगा। इथेनॉल उत्पादन पर जोर देते हुए गडकरी ने 4 जुलाई को लोकसभा में कहा था की चीनी मिलों को अब चीनी के उत्पादन के बजाय इथेनॉल के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए।

केंद्र सरकार का 2030 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित करने का लक्ष्य है। साखर परिषद 20-20 के दौरान भी गडकरी ने कहा था की अगले दो वर्षों में इथेनॉल का बाजार Rs 50,000 करोड़ तक बढ़ेगा और 2 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ने की क्षमता है।

हाल ही में, महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त, श्री शेखर गायकवाड़ ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को राज्य में गन्ने के रस से इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने और सरकार से समर्थन के अनुरोध का प्रस्ताव पेश किया था। उन्होंने उन चीनी मिलों के लिए, 500 करोड़ रुपये के फंड की भी वकालत की थी जो या तो इथेनॉल उत्पादन सुविधा स्थापित करना चाहते है या वर्तमान में विस्तार करना चाहते है।

चीनी मिलें चीनी की कीमतों में कमी, अधिशेष स्टॉक और गन्ना बकाया जैसे मुद्दों का सामना कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इथेनॉल का उत्पादन चीनी मिलों को वित्तीय स्थिति में सुधार करने और गन्ना बकाया को दूर करने में मदद करेगा। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक 2019-20 सीजन के लिए चीनी का कैरीओवर स्टॉक लगभग 14.5 मिलीयन टन होने का अनुमान है।

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