नई दिल्ली: चीनी मंडी
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP/ सीएसीपी) ने केंद्र सरकार को किसानों के लाभ के लिए भारत में चीनी व्यापार के लिए एक दोहरी मूल्य नीति तैयार करने की सिफारिश की थी। और अब खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने खाद्य मंत्रालय से कहा है कि, वह भारत में घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं को लेकर चीनी के लिए दोहरी मूल्य नीति को लागू करने के लिए एक फार्मूला तैयार करे। दोहरी मूल्य नीति के तहत, औद्योगिक उपयोगकर्ताओं को चीनी की अधिक कीमत चुकानी होगी, जबकि घरेलू उपभोक्ताओं को कम किमत में चीनी मिलेगी। ऐसा कहा जा रहा है की इससे मिलों की वित्तीय सेहत में सुधार होगा, क्योंकि औद्योगिक खरीदारों को बेची गई चीनी से उनकी कमाई बढ़ेगी।
हालही में सीएसीपी के चेयरमैन विजय पॉल शर्मा ने कहा था की, सरकार को रसोई उपभोक्ताओं के लिए उचित मूल्य और उपलब्धता की लागत के आधार पर औद्योगिक उपयोगकर्ताओं के लिए उच्च कीमतों पर विचार करना चाहिए।
केंद्र सरकार ने देश भर में चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य 31 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया है। और चीनी मिलें दावा करती है उनकी उत्पादन लागत बिक्री मूल्य से ज्यादा है, जिससे उन्हें आर्थिक समस्यों से जूझना पड़ता है। और इसी के चलते वे समय से गन्ना बकाया चुकाने में भी विफल रहते है।
हालही में उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने भी कहा था की, कॉर्पोरेट उपभोक्ताओं के लिए उच्च मूल्य में चीनी बिक्री मिलों को अपनी आय बढ़ाने में मदद करेगा जो कि गन्ने के बकाया की तेजी से भुगतान कर सकते है। इसके साथ, किसानों को अधिक गन्ना उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसमें अन्य कृषि उत्पादों की तुलना में अधिक आय हुई है। हम ऐसी सभी पहलों का समर्थन करते हैं जिससे किसानों को फायदा हो।
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