हरियाणा: टॉप बोरर का हमला, गन्ना उत्पादन प्रभावित…

करनाल: हरियाणा में टॉप बोरर कीट का टेरर काफी बढ़ गया है, इस किट ने पूरे राज्य में गन्ने के लगभग 60% उत्पादन को प्रभावित किया है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इस किट के हमले ने गन्ना वैज्ञानिकों, चीनी मिलों के साथ-साथ कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों और किसानों की परेशानिया को बढ़ा दिया है। गन्ना वैज्ञानिकों का कहना है कि, इस कीट के लिए इस्तेमाल किया जा रहा कीटनाशक पिछले दो वर्षों में वांछित परिणाम देने में ‘विफल’ रहा है।15 फरवरी से 15 मार्च के बीच होने वाली फसलों की अगली खेती से पहले, गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, करनाल के वैज्ञानिकों ने समाधान खोजने के लिए एक प्रमुख कीटनाशक निर्माण फर्म के साथ विचार-मंथन सत्र आयोजित किया।

द ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर के मुताबिक, विभिन्न स्थानों का दौरा करने के बाद, ICAR-Sugarcane Breeding Institute, क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख डॉ एसके पांडे ने गन्ना वैज्ञानिकों और कंपनी के सदस्यों के साथ विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा, हमने पूरे हरियाणा में खेतों का निरीक्षण किया है और पाया है कि टॉप बोरर के हमले से गन्ना उत्पादन में लगभग 60% का नुकसान हुआ है। इस कीट ने 95% क्षेत्र पर अपना प्रभाव छोड़ा है, जो हम सभी के लिए चिंता का विषय है। इस कीट के चक्र को तोड़ने के लिए हम सभी को एक तंत्र अपनाकर प्रयास करना होगा। डॉ पांडे ने कहा कि, राज्य के किसान लगभग 3.5 लाख एकड़ में गन्ने की खेती करते हैं और औसत उत्पादन 400-500 क्विंटल प्रति एकड़ होता है, लेकिन यह कीट ने उत्पादन को बड़ा झटका दिया और किसानों को औसतन 140-200 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन हो रहा है।

वैज्ञानिक चिंतित हैं क्योंकि इसने अधिक उपज देने वाली किस्म CO-0238 को प्रभावित किया है, जिसकी खेती राज्य के लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में की गई है। डॉ पांडे ने कहा कि, यह एक अधिक उपज देने वाली किस्म है और किसानों ने इसकी सबसे अधिक खेती की है, लेकिन वर्तमान में हमारे पास इस किस्म का कोई विकल्प नहीं है, इसलिए हम किसानों से इस कीट के चक्र को तोड़ने के लिए कुछ कदम उठाने के लिए कह रहे हैं।

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