ICE चीनी की अक्टूबर की अधिकांश डिलीवरी चीन को होगी: मीडिया रिपोर्ट

न्यूयॉर्क: रायटर्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, सौदों की जानकारी रखने वाले दो व्यापारियों के अनुसार, पिछले सप्ताह इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (ICE) में अक्टूबर वायदा अनुबंध की समाप्ति पर कमोडिटी व्यापारियों द्वारा चीनी की अधिकांश रिकॉर्ड भौतिक डिलीवरी चीन की ओर जाएगी।

सिंगापुर स्थित खाद्य व्यापारी विल्मर इंटरनेशनल ने 2.87 मिलियन मीट्रिक टन की लगभग रिकॉर्ड डिलीवरी लेने का फैसला किया। विल्मर इंटरनेशनल ने चीन के साथ 1 मिलियन से 1.5 मिलियन टन के बीच चीनी बिक्री सौदा किया है। विल्मर ने कुछ चीनी इंडोनेशिया, मिस्र और भारत भेजने के लिए भी सौदे किये है।विल्मर ने टिप्पणी के लिए रॉयटर्स के अनुरोध का जवाब नहीं दिया है।

पिछले सप्ताह अक्टूबर अनुबंध की समाप्ति पर चीनी की भौतिक डिलीवरी किसी भी वर्ष, किसी भी अनुबंध की तुलना में सबसे बड़ी थी। सभी 2.87 मिलियन टन चीनी ब्राजीलियाई है, जिसे अक्टूबर की शुरुआत से 15 दिसंबर के बीच ब्राजील के बंदरगाहों से लोड किया जाना है।

रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक व्यापारी ने कहा, हमें लगता है कि विल्मर ने पहले ही उस मात्रा का अधिकांश या पूरा हिस्सा बेच दिया है, जिसमे से चीन ने लगभग 1.2 से 1.5 मिलियन टन खरीदा। दूसरे व्यापारी ने अनुमान लगाया कि, विल्मर की चीन को बिक्री लगभग 10 लाख टन होगी।

व्यापारियों और विश्लेषकों ने कहा कि, कई कारकों के संयोजन से बड़ी डिलीवरी हुई, जिसमें रिकॉर्ड ब्राजीलियाई फसल, ऊंची ब्याज दरें और आईसीई पर अक्टूबर और मार्च अनुबंधों के बीच कम प्रीमियम शामिल है। दूसरे व्यापारी ने भंडारण और हेजिंग की लागत का जिक्र करते हुए कहा, मौजूदा ब्याज दरों के साथ, आजकल चीनी ले जाने में बहुत पैसा खर्च होता है।

व्यापारियों ने कहा, यह विल्मर और डिलीवरी पार्टियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण लॉजिस्टिक ऑपरेशन होगा, क्योंकि ब्राजील में बारिश का मौसम शुरू हो रहा है और इससे लोडिंग में देरी हो सकती है। चीन के COFCO, लुईस ड्रेफस कंपनी, सुकडेन और विटर्रा सहित कुल छह कमोडिटी व्यापारियों ने चीनी वितरित करने का निर्णय लिया। ICE नियमों के अनुसार, डिलीवरी करने वालों को बंदरगाहों पर चीनी लानी होती है, और प्राप्तकर्ता को जहाज को नामांकित करना होता है। दूसरे सूत्र ने कहा कि, विल्मर ने इस सप्ताह पहले छह जहाजों को नामांकित किया है। अधिकांश लोडिंग सैंटोस और पारानगुआ बंदरगाहों में होगी।

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