प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई बैठक में कैबिनेट ने ई-सिगरेट पर पाबंदी का फैसला लिया है।
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बैटरी-युक्त उपकरण है, जो निकोटिन वाले घोल को गर्म करके एयरोसोल पैदा करता है। एयरोसोल, सामान्य सिगरेटों में एक व्यसनकारी पदार्थ है। इनमें सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम, जलाने नहीं, गर्म होने वाले (हिट नॉट बर्न) उत्पाद, ई-हुक्का और इस प्रकार के अन्य उपकरण शामिल हैं। ऐसे नए उत्पाद आकर्षक रूपों तथा विविध सुगंधों से युक्त होते हैं तथा इसका इस्तेमाल काफी बढ़ा है। विकसित देशों में विशेषकर युवाओं और बच्चों में इसने एक महामारी का रूप ले लिया है।
अध्यादेश की घोषणा के बाद, ई-सिगरेटों का किसी प्रकार उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय (ऑनलाइन विक्रय सहित), वितरण अथवा विज्ञापन (ऑनलाइन विज्ञापन सहित) एक संज्ञेय अपराध माना जायेगा और पहली बार अपराध के मामले में एक वर्ष तक कैद अथवा एक लाख रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों; और अगले अपराध के लिए तीन वर्ष तक कैद और पांच लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों के भंडारण के लिए भी छह माह तक कैद अथवा 50 हजार रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों दंड दिए जा सकते हैं।
अध्यादेश लागू होने की तिथि पर, ई-सिगरेटों के मौजूदा भंडारों के मालिकों को इन भंडारों की स्वत: घोषणा करके, निकटवर्ती पुलिस थाने में जमा कराना होगा। पुलिस उप निरीक्षक को अध्यादेश के तहत कार्रवाई करने के लिए अधिकृत अधिकारी के रूप में निर्धारित किया गया है। अध्यादेश के प्रावधानों को लागू करने के लिए, केंद्र अथवा राज्य सरकार किसी अन्य समकक्ष अधिकारी को अधिकृत अधिकारी के रूप में निर्धारित कर सकती है।
ई-सिगरेटों को प्रतिबंधित करने पर विचार करने के लिए, सरकार द्वारा 2018 में सभी राज्यों के लिए जारी की गई एक चेतावनी की पृष्ठभूमि में मौजूदा निर्णय लिया गया है। पहले ही 16 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश ने अपने क्षेत्राधिकारों में ई-सिगरेटों को प्रतिबंधित किया है।
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