नई दिल्ली : पहली बार, भारत में चीनी सम्मेलन में पूरी चर्चा एथेनॉल की ओर स्थानांतरित हो गई। 2025 तक पेट्रोल के साथ एथेनॉल मिश्रण का 20 प्रतिशत लक्ष्य संभव है, लेकिन साथ ही जब तक कि सरकार ट्रकों के अलावा अन्य माध्यमों से 1,016 करोड़ लीटर एथेनॉल का भौतिक परिवहन सुनिश्चित नहीं करती है तब तक 76 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन भी हो सकता है।इंडियन चीनी मिल्स असोसिएशन (इस्मा) के सहयोग से ब्राजील के डेटाग्रो द्वारा आयोजित ‘चीनी और एथेनॉल’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने निजी क्षेत्र से एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम पर आगे बढ़ने के लिए सभी हितधारकों का एक निकाय बनाने का आग्रह किया।
मध्य प्रदेश स्थित मां रीवा शुगर के प्रबंध निदेशक अखिलेश गोयल ने कहा की, नीति आयोग के अनुसार 20 प्रतिशत मिश्रण के लिए, कुल 1,016 करोड़ लीटर की आवश्यकता होगी, जिसके लिए रसद बुनियादी ढांचे को सुव्यवस्थित और मजबूत करना होगा।उन्होंने कहा कि, आवश्यक एथेनॉल की पूरी मात्रा को ले जाने के लिए, लगभग 3,50,000 टैंकर ट्रकों की आवश्यकता होगी, जिसमे से एक ट्रक 29,000 लीटर वहन करेगा।गोयल ने कहा, इन ट्रकों की आवाजाही के परिणामस्वरूप 76 मिलियन टन का जीएचजी उत्सर्जन होगा, जब तक कि अधिकांश एथेनॉल या तो पाइपलाइन के माध्यम से या रेलवे द्वारा नहीं ले जाया जाता है।वर्तमान में, एथेनॉल की लगभग पूरी मात्रा सड़क मार्ग से टैंकरों के माध्यम से ले जाया जाता है और अधिक डीजल जलाने के साथ-साथ बढ़ी हुई लागत के कारण महंगा है।