नई दिल्ली: पीटीआई से बात करते हुए अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के प्रमुख फतह बिरोल ने कहा कि, भारत जल्द ही वैश्विक तेल मांग के सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में चीन से आगे निकल जाएगा। हालांकि भारत के पास ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में वर्ल्ड लीडर बनने का अवसर है। उन्होंने कहा, चीन ने इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाते हुए देखा है, जिससे पेट्रोल और डीजल की खपत में गिरावट आई है। बिरोल ने कहा कि, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा खपत वाले भारत में तेल की मांग बढ़ा रही है। साथ ही सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादित सस्ती बिजली देश को हरित हाइड्रोजन लीडर में बदलने में मदद कर सकती है।
उन्होंने कहा, चीन में तेल की मांग के कमजोर होने के कारकों में से एक कारों और बसों का तेजी से विद्युतीकरण है। भारत में 48,000 वाहनों की तुलना में 2022 में चीन में ईवी की बिक्री लगभग दोगुनी होकर 6.1 मिलियन यूनिट हो गई। इससे पहले दिल्ली में जी20 कार्यक्रम में बिरोल ने कहा कि, उन्होंने छह साल पहले कहा था कि भारत वैश्विक ऊर्जा मामलों के केंद्र में होगा। आज 6 साल बाद, मैं आपको बता सकता हूँ कि भारत आज वैश्विक ऊर्जा मामलों के केंद्र में है। यह न केवल इसकी भारी मांग के बल पर है, बल्कि सौर जैसे नवीकरणीय स्रोतों से बिजली पैदा करने और जीवाश्म ईंधन को बदलने के लिए गन्ना, खाद्यान्न और कृषि अपशिष्ट से उत्पादित एथेनॉल जैसे जैव ईंधन का उपयोग करने में तेजी से प्रगति भी है। उन्होंने कहा कि, पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने से देश को 2 अरब डॉलर के बराबर तेल आयात से बचने में मदद मिली।
उन्होंने कहा, मेरे विचार में भारत हरित हाइड्रोजन में महाशक्ति बनने के लिए तैयार है। तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, भारत में 2070 के लक्ष्य की तारीख से पहले कार्बन उत्सर्जन में शुद्ध शून्य बनने की क्षमता है, और देश स्वच्छ ऊर्जा के मोर्चे पर “उत्कृष्ट काम” कर रहा है।