भारतीय चीनी उद्योग गुरु यतिन वाधवाना का मानना है की भारतीय चीनी निर्यात बिना किसी सरकारी सहायता के भी व्यवहार्य है

वैश्विक चीनी बाजार ने कोरोना महामारी से लंबे समय तक जूझने के बाद सुधार के संकेत देने शुरू कर दिए हैं। हालांकि, अभी भी कुछ चिंताएं हैं जो दुनिया भर में देखी जा रही हैं। चीनीमंडी न्यूज के साथ बातचीत में, भारतीय चीनी उद्योग गुरु – श्री यतिन वाधवाना – ग्रेडिएंट कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक ने उनमें से कुछ पर अपने विचार साझा किए।

आने वाले दिनों में वैश्विक चीनी परिदृश्य और मूल्य की प्रवृत्ति को वह कैसे देखता है, इसपर उन्होंने कहा, “COVID-19 महामारी के मुख्य मुद्दे के अलावा जिसने चीनी की खपत, कच्चे तेल की कीमतें और उत्पादन (कुछ क्षेत्रों में) को प्रभावित किया है, कई अन्य कारक हैं जो विश्व चीनी बाजार को प्रभावित कर रहे हैं। महामारी के आलावा, थाईलैंड में कम बारिश का निरंतर प्रभाव है जिसके कारण 2020-21 सीजन में फसल को लगभग 65 mln MT तक डाउनग्रेड किया गया है। और पेराई सीजन 2019-20 सीजन में भी कमी देखि गयी थी। इसी तरह हमने 2020-21 सीज़न के लिए यूरोपीय संघ की फसल पर मौसम के प्रभाव को देखा है, जिससे उत्पादन संख्या कम की गयी है। दूसरी ओर, कम क्रूड ऑयल की कीमत और कमजोर Real की वजह से ब्राजील इथेनॉल के मुकाबले अपने चीनी उत्पादन पर अधिक जोर दे रहा है। इसका मतलब है कि ब्राजील विश्व बाजार के लिए चीनी का एकमात्र स्रोत बन गया है जो किसी भी बाजार के लिए स्वस्थ नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा, “हलाकि सबकी निगाहें भारत में बंपर फसल उत्पादन और चीनी निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए भारतीय सरकार के अनुदान पर है। बाजार भारत सरकार से निर्यात नीति और प्रोत्साहन की घोषणा करने की उम्मीद कर रहा है, लेकिन अभी तक इसपर कोई घोषणा नहीं हुई है, जो दुनिया की चीनी कीमतों को प्रभाव करने में सक्षम है। इसलिए, आगे देखते हुए, मेरा निजी विचार यह है कि जब तक भारत की ओर से कोई घोषणा नहीं होती है, वैश्विक चीनी बाजार में बढ़ाव तब तक दीखता रहेगा जब तक खपत में कोई असर ना हो या फिर भारतीय चीनी बाजार किसी सरकारी सहायता के बाहर आ सकती है।”

भारत की निर्यात नीति में देरी से ब्राजील के तरफ मांग पुनर्निर्देशन होगा या नहीं, इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा, फिलहाल, भारतीय निर्यात नीति की घोषणा करने में किसी भी तरह की देरी भारत से न केवल ब्राजील, बल्कि भारत में तटीय रिफाइनर और क्षेत्र में चीनी रिफाइनरियों (व्हाइट शुगर के लिए) की मांग को दूर कर देगी।

हाल ही में एक वर्चुअल सम्मेलन में एक बयान आया था, भारत निर्यात नीति के साथ कठिनाई या इसमें देरी होने पर यह ‘ब्लैक स्वान इवेंट’ हो सकता है, इसपर उन्होंने जवाब देते हुए कहा, “वास्तव में भारतीय निर्यात नीति की घोषणा (या इसकी कमी) को ‘ब्लैक स्वान इवेंट’ घटना के रूप में माना जाएगा, क्योंकि पिछले 2 वर्षों से नई फसल की शुरुआत के समय भारतीय शासन अपनी निर्यात नीति को अच्छी तरह से घोषित कर रहा है और नीति के तत्व काफी सुसंगत रहे हैं, इसलिए बाजार को इस वर्ष इसी तरह के कदम की उम्मीद थी। अगर भारत निर्यात नीति की घोषणा में देरी या यह नहीं करता है तो विश्व बाजार एक ऐसे बिंदु पर पहुंच जाएगा जहां भारतीय चीनी निर्यात बिना प्रोत्साहन के ही व्यवहार्य हो सकता है। लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि भारतीय घरेलू कीमतें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) के स्तर को भी भंग कर देंगी क्योंकि भारतीय चीनी मिलों के लिए अतिरिक्त चीनी को स्टोर और वित्त पोषण करना कठिन हो जाएगा, जिसका अर्थ है कि निर्यात समानता स्तर भी काम हो जाएगा।”

चीनी उद्योग को समय की जरूरत को देखते हुए क्या कदम उठाने की जरूरत है, इस पर सुझाव देते हुए उन्होंने कहा, “सरकार ने इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम को लागू करने के साथ एक उत्कृष्ट शुरुआत की है, हालाँकि, सामान्य रूप से चीनी क्षेत्र के वित्तीय स्वास्थ्य को देखते हुए, उत्पादन क्षमता के निर्माण में कुछ समय लगेगा और ऐसे समय तक सरकार को चीनी पर निर्यात प्रोत्साहन की अपनी नीति जारी रखने की आवश्यकता है ताकि उद्योग अपने स्टॉक को कम कर सके और बकाया गन्ना भुगतान कर सके।

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