भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद अनुमानित (GDP) 7 प्रतिशत से अधिक हो सकता है।
दास ने यहां नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ के एक कार्यक्रम में कहा, “मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर आती है।” उन्होंने विभिन्न मैक्रो फंडामेंटल्स में मजबूती के आधार पर यह बात कही।
इस साल की शुरुआत में जारी 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज से अनुमान लगाया गया था कि भारत 7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकता है साथ ही आर्थिक सर्वेक्षण ने आने वाले वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक रूप से 6.5 प्रतिशत की बेसलाइन GDP वृद्धि का अनुमान लगाया है।
भारत की मौद्रिक नीति और इसके भविष्य के कदम क्या हो सकते हैं, इस बारे में बोलते हुए दास ने कि, यह उनके हाथ में नहीं है क्यूंकि यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है।
RBI ने अप्रैल में अपनी पहली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में इस वित्तीय वर्ष में प्रमुख बेंचमार्क इंट्रेस्ट रेट – रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का किया है, ताकि प्रभाव का आकलन किया जा सके।
केंद्रीय बैंक वित्तीय वर्ष में अपनी मौद्रिक नीति की छह द्विमासिक समीक्षा करता है। हाल के ठहराव को छोड़कर, RBI ने मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई में मई 2022 से संचयी रूप से रेपो रेट में 250 आधार अंकों की वृद्धि की है। इंट्रेस्ट रेट को बढ़ने का अर्थ एक मौद्रिक नीति साधन है जो आम तौर पर अर्थव्यवस्था में मांग को दबाने में मदद करता है, जिससे मुद्रास्फीति की रेट में गिरावट आती है।
दास ने CII कार्यक्रम में यह जानकारी दी कि रेपो रेट पर हाल के निर्णय को मौद्रिक नीति ठहराव के रूप में देखा जाना चाहिए न कि धुरी के रूप में। साथ ही उन्होंने यह भी बताया की RBI की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक 6-8 जून, 2023 को होगी।