भारत के चावल निर्यात में गिरावट आने की उम्मीद

नई दिल्ली: भारत, दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक, वैश्विक व्यापार में लगभग 40% का योगदान देता है।लेकिन इस वित्तीय वर्ष में भारत के चावल निर्यात में गिरावट आने की उम्मीद है। निर्यातकों ने कहा कि, निर्यात में गिरावट से भारत को वैश्विक व्यापार बाजार में अपनी लीडरशिप खोनी पड़ सकती है। वित्त वर्ष 23 में भारत का गैर-बासमती चावल निर्यात रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक विनोद कौल ने कहा, वित्त वर्ष 24 में निर्यात में गिरावट देखी जा रही है, क्योंकि गैर-बासमती किस्मों पर 20% निर्यात शुल्क का प्रभाव अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है। भारत ने FY22 की 17.3 मिलियन टन (MT) की तुलना में FY23 में 17.79 मिलियन टन (MT) गैर-बासमती चावल का निर्यात किया, जबकि घरेलू कीमतों को नीचे रखने के लिए लगाए गए प्रतिबंध के कारण टूटे हुए चावल का निर्यात वर्ष में 23% कम हुआ। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के संदर्भ में, गैर-बासमती चावल का निर्यात साल में 4% अधिक यानी 6.36 बिलियन डॉलर का था।

प्रतिबंध के बावजूद, व्यापारियों और दूतावासों के अनुरोध पर केंद्र ने 400,000 टन शिपमेंट की अनुमति दी। कौल ने कहा कि जब तक शुल्क ढांचे में बदलाव नहीं होता, टूटे चावल का निर्यात इस साल घटकर शून्य हो जाएगा। अर्ध और पूर्ण मिल्ड चावल के निर्यात में 15-20% की गिरावट की उम्मीद है।कौल ने कहा, करीब 5 मिलियन टन के नुकसान से वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को झटका लगने की उम्मीद है, जिससे थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धियों को निर्यात का अवसर मिलेगा। वैश्विक बाजार में भारत के चावल की कीमतें वियतनाम और थाईलैंड की तुलना में अधिक आकर्षक हैं, जो अफ्रीका में नाइजीरिया, बेनिन और कैमरून जैसी कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए काफी फायदेमंद साबित हुई हैं।भारत का 25% टूटा हुआ चावल 442 डॉलर प्रति टन है, जबकि थाईलैंड और वियतनाम का 5% टूटा हुआ चावल 487 डॉलर प्रति टन और 480 डॉलर प्रति टन है।

विशेषज्ञ के अनुसार, सरकार द्वारा टूटे हुए चावल पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय एक हद तक उचित है, क्योंकि चीनी के उप-उत्पाद शीरे से 65% की तुलना में एथेनॉल उत्पादन में टूटे चावल की हिस्सेदारी केवल 11% है। 2025 तक 20% एथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य अकेले गन्ने से पूरा नहीं किया जा सकता है। नतीजतन, सरकार लक्ष्य को पूरा करने के लिए मक्का जैसे अन्य खाद्यान्नों की क्षमता भी तलाश रही है।एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के तहत घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, भारत ने अनाज आधारित एथेनॉल की अनुमति दी थी और 2020-21 (दिसंबर-नवंबर) में, भारतीय खाद्य निगम को ईंधन एथेनॉल उत्पादन के लिए एथेनॉल संयंत्रों को चावल बेचने की भी अनुमति दी गई है।

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