इंडोनेशिया: चीनी की कीमतें बढ़ने के कारण खाद्य और पेय उद्योग कई उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी पर कर रहा है विचार

जकार्ता : घरेलू खाद्य और पेय उद्योग रीफाइंड चीनी (refined sugar) की ऊंची कीमत की भरपाई के लिए इस साल कई उत्पादों की कीमतें बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इंडोनेशियाई फूड एंड बेवरेज प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (गैपम्मी) ने कहा कि, बढ़ोतरी से सिरप, सोडा और कुकीज़ जैसे उत्पाद प्रभावित होंगे।

गैपम्मी के अध्यक्ष अधि एस. लुकमान ने कोम्पस.कॉम के हवाले से कहा, चीनी की कीमत [वर्ष-दर-वर्ष] लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गई है, और अब आयातित चीनी स्थानीय चीनी की तुलना में महंगी है। उन्होंने कहा, मेरा अनुमान है कि, इस साल के अंत में या अगले साल की शुरुआत में, कई कंपनियां अपनी खाद्य और पेय कीमतों की समीक्षा करेंगी। इंडोनेशियाई प्रसंस्कृत खाद्य निर्माता पूरी तरह से आयातित चीनी पर निर्भर हैं, क्योंकि स्थानीय white crystal sugar का उपयोग औद्योगिक उत्पादन में नहीं किया जा सकता है।

लुकमान ने कहा, थाईलैंड और भारत जैसे चीनी निर्यातक देशों में चीनी निर्यात में अड़चन ने चीनी की वैश्विक कीमतों के बढ़ोतरी में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि, चीनी की तत्काल आपूर्ति पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि प्रमुख कंपनियां आम तौर पर साल के अंत में समाप्त होने वाले वार्षिक अनुबंधों के तहत निर्धारित कीमतों पर चीनी खरीदती हैं, जिससे उन्हें कुछ समय के लिए ऊंची कीमतों से सुरक्षा मिलती है।

उन्होंने कहा कि, खाद्य और पेय उद्योग इस बात पर सावधानीपूर्वक विचार करेगा कि चीनी उत्पादों की कीमतों को किस हद तक समायोजित किया जाए, क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें वितरकों और खुदरा विक्रेताओं के साथ चर्चा शामिल है। उन्होंने कहा, इंडोनेशियाई उपभोक्ताओं की मूल्य निर्धारण के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए, औद्योगिक चीनी लागत में पूरी वृद्धि की भरपाई के लिए उपभोक्ता कीमत बढ़ाना अव्यावहारिक होगा।

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