सिंचाई परियोजनाओ से वित्तीय संकट से जूझ रही चीनी मिलों को होगा फायदा: योगी आदित्यनाथ

लखनऊ/ दिल्ली, 20 मार्च: वैश्विक जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच देश में कृषि के लिए सिंचाई की समस्या सामने आ रही है। बीते तीन साल में उत्तर प्रदेश में बनी योगी आदित्याथ के नेतृत्व वाली सरकार ने गन्ना जैसी फसलों के लिए सिंचाई के पानी की कमी को देखते हुए जलापूर्ति सुनिश्चित करने की ठानी और नहरों को जोड़ने की दिशा में काम शुरु किया।

राजधानी लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बडा गन्ना उत्पादक राज्य है। प्रदेश के लाखों किसानों की आजीविका इससे जुडी है। लेकिन बीते कुछ सालों से यहां जल संकट के कारण गन्ने की खेती प्रभावित हो रही थी। इसके कारण प्रदेश के कई जिलों में चीनी मिलें अपेक्षित गन्ना नहीं मिलने से बंद होने के कगार पर पहुंच गयी थी। तीन साल पहले जब हमारी सरकार आयी तो हमने गन्ना किसानों और चीनी मिलों के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की बैठकें की। गन्ना किसानों और चीनी मिलों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सिंचाई के लिए किसानो को जल की जरूरत होती है। भूजल गिरने से उत्पन्न हुए जल सकंट के कारण गन्ने की खेती का रकबा घटता जा रहा है। जल की समस्या ने न केवल किसानों के लिए परेशानी खड़ी कर दी बल्कि चीनी मिलों को वित्तीय संकट के चलते ताले लगाने को मजबूर कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने किसानों और चीनी मिलों के हित में सालों से लंबित पडी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कार्ययोजना बनाई और अमल शुरु किया। इन योजनाओं में बाण सागर परियोजना तो पिछले 47 साल से लम्बित थी, जिसे हम पूरा कर रहे है। इसी तरह से सरयू राष्ट्रीय परियोजना, अर्जुन सहायक परियोजना और मध्य गंगा राष्ट्रीय योजना जैसी एक दर्जन से अधिक सिचांई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का काम हमने किया है। ये परियोजनाए दशकों से लम्बित पडी थी। आज इनमें से अधिकांश पूरी होने की और है तो कुछ पूरी होने वाली है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी परियोजनाओं के पूर्ण होने से जल संकट से जूझ रहे गन्ना किसानों की खेती को एक बड़ा तौहफा मिलेगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मेरठ, गाजियाबाद, लखनऊ, वाराणसी, गौतमबुद्द नगर, आगरा, बागपत, मुजफ्फरनगर और इलाहाबाद, जैसे शहरों में 45 से 91 सेंटीमीटर की दर से हर साल भूजल नीचे जा रहा है। इसी तरह से बारिश की ओसत स्थिति भी दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। ऐसे में सालों से लम्बित पडी इन सिंचाई परियोजनाओं को पूरा होने से गन्ना उत्पादक जिलों में सिचाई की समस्या से किसानों को राहत मिलेगी और गन्ने की खेती का रकबा बढ़ने से चीनी मिलों के दिन बहुरेंगे। गन्ने के खेतों में काम करने वाले मजदूरों को काम मिलेगा और चीनी मिलों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुडे कामगारों को रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेतों में गन्ना रहेगा तो चीनी मिलें चलेंगी। मिलें चलेगी तो चीनी उत्पादन होगा और हम चीनी निर्यात कर राजस्व अर्जित कर पायेंगे।

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच बारिश कम होने से गन्ने की खेती का जो रकबा घटता जा रहा है उसे पूरा करने में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरु की गयी सिंचाई परियोजनाओं से काफी मदद मिलेगी। डॉ यूपी सिंह ने कहा कि अन्य राज्य सरकारों को भी जल संरक्षण के साथ समय रहते सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर काम करना चाहिए ताकि भविष्य मे जल संकट की चुनौतियो का समय रहते मुकाबला किया जा सके।

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