श्रीलंका सार्क सम्मेलन में उठाएगा गन्ना और चीनी उद्योग को जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुक़सान का मुद्दा

कोलम्बो,20 फरवरी: बदलती जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रहे श्रीलंका के गन्ना किसानों और चीनी उद्योग का मुद्दा आगामी महिने में होने वाले सार्क (SAARC) सम्मेलन में उठेगा। श्रीलंका के कृषि मंत्री छमल राजपक्षा ने कहा कि सार्क देशों का कृषि सम्मेलन भूटान में प्रस्तावित है इसकी बैठक बीते साल मई माह में होनी थी लेकिन हो नहीं पाई। अब ये बैठ जल्द होने की उम्मीद है जिसमें गन्ना और चीनी उद्योग के जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुक़सान और खेती के घटते रकबे पर फोकस दिया जाएगा। पर्यावरणीय चुनौतियों से जूझ रहे गन्ना उद्योग को पडौसी देश किस तरह मदद कर सकते है आपसे में किस तरह से क्लाइमेटिक कन्डीसन्स से निपटा जा सकता है इन सभी मुद्दों पर बात होगी। राजपक्षा ने कहा कि सार्क देश आपस में मिलकर एक मैकेनिमज्म तैयार कर सकते है और बदलती मौसमी परिस्थितियों से गन्ने की खेती को बचाने के लिए एक साझा सहयोग डेस्क बना सकते है। इससे गन्ना उत्पादक देशों को तो मदद मिलेगी ही साथ ही जिन देशों में गन्ने की खेती नहीं होती है या कम होती है उनको भी फायदा होगा। राजपक्षा ने कहा कि हमारे यहां जितना गन्ना पैदा होता है उससे अधिक की चीनी की खपत होती है ऐसे में पड़ौसी देशों से हमें चीनी आयात करनी पड़ती है। अगर इन देशो में गन्ने की खेती कम हुई तो हमे भी चीनी मंहगे दामों मे ख़रीदनी पड़ेगी। इसलिए ये सबके हित में है कि हम गन्ने और चीनी उद्योग के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें।

राजपक्षा ने कहा कि सार्क बैठक में हम पक्ष रखेंगे की पर्यावरण के प्रति सहनशील किस्मों पर शोध किया जाए ताकि जलवायु परिवर्तन से पैदा हो रहे कीट पतंगाें के प्रकोप से गन्ने की फसल को बचाया जा सके।

कृषि मंत्री ने कहा कि हमारे देश में चीनी की घरेलू आवश्यकता की तकरीबन 90 फीसदी आवश्यकता पडौसी देशों से आयात करके पूरी करनी होती है ऐसे में अगर हमारे जो गन्ना पैदा होता है वो भी घट जाएगा हमें भारी नुकसान होगा।

सार्क सार्क सम्मेलन में श्रीलंका के गन्ना और चीनी उद्योग के संकट के मसले पर मीडिया से बात करते हुए भारतीय कषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक (अंतरराष्ट्रीय कॉर्डीनेशन) डॉ ए. अरुणाचलम ने कहा कि श्रीलंका भारत का बड़ा चीनी आयातक देश है। सरकार आने वाले दिनों में यहा चीनी का निर्यात और बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। भारत, श्रीलंका के साथ अपने संबधों को केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण से ही नहीं देख रहा है बल्कि सामरिक तौर पर भी पडौसी देश होने के नाते अच्छे संबध रख रहा है ऐसे में अगर सार्क बैठक में श्रीलंका द्वारा गन्ना और चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोई साझा तंत्र बनाने की बात आएगी तो भारत इसका न केवल समर्थन करेगा बल्कि वैज्ञानिक स्तर पर सहयोग के साथ वित्तीय मदद की पहल भी करेगा।

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