ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया परियोजनाओं की आईएसटीएस छूट बढ़ाई गई

एक बड़े फैसले में, सरकार ने ऑफशोर विंड प्रोजेक्ट्स को आईएसटीएस शुल्क (अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क) में छूट देने और ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया की छूट आगे बढ़ाने का फैसला किया है। यह फैसला ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया परियोजनाओं के विस्तार को बढ़ावा देने और ऊर्जा भंडारण प्रणाली परियोजनाओं से नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए ऑफशोर विंड एनर्जी से जुड़ी पहलों के व्यापक कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए लिया गया है।

विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, दिनांक 31 दिसंबर, 2032 को या उससे पहले शुरू की गई ऑफशोर विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए आईएसटीएस शुल्क की पूर्ण छूट परियोजना के चालू होने के 25 वर्ष की अवधि के लिए दी गई है। 1 जनवरी, 2033 से शुरू की गई ऑफशोर विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स को ग्रेडेड आईएसटीएस शुल्क दिया जाएगा। इससे पहले, सभी पवन ऊर्जा परियोजनाओं को 30 जून, 2025 तक छूट प्रदान की गई थी। अब, ऑफशोर विंड को अलग से माना जाएगा और इनके लिए छूट 31 दिसंबर, 2032 तक ग्रेडेड ट्रांसमिशन शुल्क के साथ प्रदान की जाएगी।

सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा (8 मार्च, 2019 के बाद स्थापित), पंप स्टोरेज सिस्टम या बैटरी का उपयोग करने वाली ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया उत्पादन इकाइयों, स्टोरेज सिस्टम या इन तकनीकों के किसी भी हाइब्रिड संयोजन के लिए परियोजना के चालू होने की तारीख से 25 वर्षों की अवधि के लिए आईएसटीएस शुल्कों की पूर्ण छूट भी प्रदान की है। 31 दिसंबर, 2030 को या उससे पहले स्थापित की गई परियोजनाएं इस छूट के लिए पात्र होंगी। 31 दिसंबर, 2030 के बाद की परियोजनाओं पर उसके बाद ग्रेडेड ट्रांसमिशन शुल्क लगेगा। निर्णय के लागू होने की तारीख 30 जून 2025 से बढ़कर 31 दिसंबर 2030 तक हो जाएगी।

(Source: PIB)

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