कर्नाटक: खराब बारिश के कारण फसल प्रभावित होने की आशंका

बेंगलुरु : भारत मौसम विज्ञान विभाग के विषय विशेषज्ञ के अनुसार, मंड्या जिले में इस वर्ष 21% कम वर्षा हुई है। वर्षा का वितरण भी समान रूप से नहीं हुआ है। परिणामस्वरूप, केवल नहरों के किनारे और सिंचाई सुविधाओं वाले किसान ही धान की खेती कर रहे हैं। मांड्या स्थित कृषि मौसम विज्ञान विशेषज्ञ अर्पिता एस.एन. ने कहा कि, क्षेत्र में केवल 30-35% किसान धान की खेती कर रहे हैं और जनवरी में होने वाली गन्ने की पेराई प्रभावित होगी, क्योंकि खड़ी फसलों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है।

कृषि विभाग ने खरीफ सीजन में 82.35 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती करने का लक्ष्य रखा है, और राज्य ने अब तक केवल 56.7 लाख हेक्टेयर (69%) में खेती की गतिविधियां शुरू की हैं। अधिकारियों का कहना है कि, कर्नाटक को अगस्त-सितंबर तक बुआई गतिविधियां पूरी कर लेनी चाहिए थीं।मानसून के देर से आने के कारण कई फसलों की बुआई में देरी हुई है और मूंग तथा उड़द की खेती की संभावनाएं खत्म हो गई है।विशेषज्ञों का कहना है कि, कई फसलों – तुअर दाल, धान, बंगाल चना, कुलथी और अन्य – की उपज पिछले खरीफ सीजन की तुलना में काफी कम हो सकती है क्योंकि खड़ी फसलें कीड़ों और बीमारियों से संक्रमित हो सकती है।

रायचूर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस, रायचूर के अनुसंधान निदेशक बीके देसाई के अनुसार, अगले 15 दिन महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि कम बारिश के कारण पानी की कमी के कारण कई फसलों का विकास रुक सकता है जो अभी अंकुरण चरण में है।कृषि विभाग के निदेशक द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्य ने 35.36 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान, ज्वार, रागी, मक्का, गेहूं और अन्य अनाज की खेती का लक्ष्य रखा था। हालांकि, 5 अगस्त तक, इसने केवल 21.52 लाख हेक्टेयर ही हासिल किया है। कर्नाटक में कावेरी और तुंगभद्रा नदियों के कमांड क्षेत्र में औसतन 4.22 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती थी। हालांकि, इस खरीफ सीजन में, बुआई केवल 3.34 लाख हेक्टेयर में हुई है (राज्य ने 10.59 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया था)।

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