तमिलनाडु चीनी उद्योग परेशान: मदद के लिए सरकार पर टिकी निगाहें

नई दिल्ली: आज जहां देश के अधिकांश भागों में चीनी अधिशेष है, वही तमिलनाडु में विपरीत परिस्तिथि है। एक समय जब तमिलनाडु देश का चौथा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य हुआ करता था आज गन्ने की कमी के कारण बुरे दौर से गुजर रहा है। सूखे और गन्ने की कमी के कारण यहां की चीनी मिलें अपनी क्षमता से केवल एक तिहाई क्षमता पर ही काम कर रही हैं। चीनी मिलों की स्थिति 2019-20 (अक्तूबर-सितंबर) में भी यहीं रहने की संभावना है।

तमिलनाडु में वर्ष 2018-19 के दौरान 900,000 टन चीनी का उत्पादन हुआ जबकि मिलों की वार्षिक उत्पादन क्षमता 2.6 मिलियन टन थी। अब जबकि 1 अक्टूबर से चीनी का नया सीजन शुरु होने जा रहा है, चीनी का उत्पादन घटकर केवल 750,000 टन होने का अनुमान है।

तमिलनाडु में चीनी मिलें न केवल अपनी उत्पादन क्षमता घटा रही हैं, बल्कि यहां की गन्ना पेराई करने वाली मिलों की संख्या में भी कमी आ रहा है। अगले सीजन में इसमें औऱ गिरावट हो सकती है।

तमिलनाडु में अक्टूबर-दिसंबर के दौरान उत्तर-पूर्व मानसून के कारण ज्यादा वर्षा होती है। वर्ष 2016-17 के दौरान यहां भारी सूखा रहा। राज्य के 140 साल के इतिहास में यह सबसे बड़ा सूखा था। इसके बाद 2017-18 में सामान्य से बारिश भी 9 प्रतिशत कम हुई। साथ ही वर्ष 2018-19 में सामान्य बारिश 24% कम हुई। कमजोर बारिश के कारण गन्ने से चीनी की रिकवरी भी राज्य में कम हो गई है। इससे प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ा है। दूसरे राज्यों की चीनी मिलों की चीनी रिकवरी रेट 10-11% जितना है जबकि तमिलनाडु की मिलों में रिकवरी रेट केवल 8.6-8.9% जितना है।

तमिलनाडु की चीनी मिलें बुरी तरह से संकट में फसी हुई है और साथ ही आर्थिक तंगी से जूझ रही है। हालही में दक्षिण भारतीय चीनी मिल संघ (SISMA) के अनुसार, तमिलनाडु में 25 निजी चीनी मिलों में से कम से कम 14 मिलें गन्ने की कमी और तरलता की कमी के कारण 2019-20 चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में परिचालन शुरू नहीं करेंगी।

आपको बता दे, हालही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आश्वासन दिया था की वे राज्य के चीनी उद्योग को संकट से बाहर निकालने में मदद करेंगी। सीतारमण, जो ‘मोदी सरकार के 100 दिनों में उपलब्धियां’ को समझाने के लिए चेन्नई में थीं, ने तमिलनाडु में चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों को उनकी मुसीबतों पर काबू पाने में मदद करने का आश्वासन दिया है। अब राज्य का चीनी उद्योग मदद के लिए सरकार पे नजरे टिकाए हुए है।

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