विदेशी चीनी मिलों को टक्कर देने वाली मशीनें भारत में लगाई जा रही है

नई दिल्ली, 9 नवम्बर: चीनी मिलें देश के गन्ना किसानों की आर्थिक तरक्की सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण आधार है। यूपी, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश देश के कुल गन्ना उत्पादन का तक़रीब 85 फ़ीसदी रक़बा कवर करते हैं। इसके अलावा हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी गन्ने की खेती होती है। चीनी मिलें देश के गन्ना किसानों की लाइफ़ लाइन के तौर पर जानी जाती है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार का बड़ा माध्यम है।

चीनी मिलों के इसी महत्व को देखते हुए भारत सरकार मिलों के आर्थिक उन्नयन का काम कर रही है। नई चीनी मिलें खोली जा रही है, पुरानी मिलों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। मिलों के अतिरिक्त आय के माध्यम श्रृजित किए जा रहे हैं ताकि मिलों को प्रतिस्पर्धा में लाकर बंद होने से बचाया जा सके और कामगारों को बेरोज़गार होने से बचाया जा सके।

चीनी मिलों को लेकर सरकार की नीति और भविष्य की योजना के मसले पर बात करते हुए केन्द्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने अपने आवास पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद मीडिया से अनौपचारिक वार्ता के दौरान कहा कि देश के राज्यों की जीडीपी में गन्ना और चीनी उद्योग का 22.33 फ़ीसदी योगदान है। ऐसे में गन्ना और चीनी उद्योग की महत्वता सरकार के लिए काफ़ी अहम है।

मंत्री ने कहा कि सरकार सहकारी क्षेत्र की चीनी मिलों कों आधुनिक तकनीक से लैस कर रही है, ताकि कम समय में अच्छी और गुणवत्ता पूर्ण चीनी का उत्पादन किया जा सके। मंत्री ने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा मे हम अच्छे ग्रेड की चीनी निर्यात कर सकें इसके लिए शुगर इंडस्ट्री को तकनीक से युक्त किया जा रहा है। विदेशी मिलों को टक्कर देने वाली मशीनें यहाँ लगाई जा रही है। चीनी उद्योग को घरेलू उद्योग से वैश्विक उद्योग की श्रेणी में ला कर खड़ा किया जा रहा है।

मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश, श्रीलंका, सोमालिया, ईरान और भूटान जैसे देश भारत से चीनी आयात करने वाले प्रमुख देश है, जहां हमारी चीनी की अच्छी गुणवत्ता और मानकों के आधार पर माँग है। आने वाले दिनों में देश में चीनी निर्यात को और बढ़ाया जाएगा। वैश्विक बाज़ार मे हमारी चीनी गुणवत्ता मामलों पर खरी उतरे इसके लिए सरकार शुगर इंडस्ट्री को मार्केट की डिमांड के अनुसार आगे बढ़ा रही है। बैंकों को अपनी आर्थिकी बढ़ाने के लिेए इथेनॉल बनाने के लिए सोफ्ट लॉन दिया जा रहा है। चीनी मिलों को इथेनॉल संयंत्र लगाने के लिए हमने 15 हज़ार करोड़ रुपयों की सस्ती दर का लोन स्वीकृत किया है। अभी तक 8 हज़ार करोड़ रूपये के ऋण जारी किये जा चुके है। सरकार चीनी मिलों को बायोगैस, कम्पोस्ट और ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए भी ऋण दे रही है। सरकार चाहती है कि गन्ने के एक एक पार्ट का सदुपयोग हो और चीनी मिलों और किसानों को उससे राजस्व हासिल हो।

मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि गन्ना किसान और चीनी मिल दोनों के हितों का ध्यान रखा जाए। ताकि सदियों से चले आ रहे भारत के चीनी उद्योग को आगे बढ़ाया जाए और गन्ने की पारंपरिक खेती करने वाले किसानों को समय पर उनका गन्ना बकाया दिलाकर उनकी आर्थिक स्थिति को भी मज़बूत किया जाए।

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