OMG! महाराष्ट्र में ७५ लाख टन चीनी गोदामों में बाकि

पुणे : चीनी मंडी

२०१७- २०१८ में गन्ना और चीनी के बम्पर उत्पादन से चीनी का मार्केट ठंडा पड़ गया, दुनियाभर में चीनी की मांग और आपूर्ती में असमानता पैदा हो गई, इससे चीनी की दरें और जादा फिसल गई, नतीजन कई सारी मिलों की चीनी गोदामों में ही पड़ी रही, इससे किसानों का बकाया चुकता करने में भी कई सारी चीनी मिलें असफल रही और चीनी के अतिरिक्त स्टॉक ने मिलों की समस्या और बढ़ा दी|

२०१७-२०१८ में ७२ लाख टन चीनी ‘अतिरिक्त’

२०१७-२०१८ के क्रशिंग सीझन में देश में कुल मिलाकर ३२२ लाख मेट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ, देश के भीतर चीनी की खपत २५० लाख मेट्रिक टन के आसपास है, याने के २०१७-२०१८ में ७२ लाख मेट्रिक टन चीनी का अतिरिक्त या बम्पर उत्पादन हुआ.

कोल्हापूर विभाग में ७० लाख टन चीनी उत्पादन

कोल्हापूर विभाग की बात की जाए तो इस विभाग में तक़रीबन ७० लाख, ७० हजार ९६३ मेट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ. २०१६-२०१७ और २०१७-२०१८ इन दोनों क्रशिंग सीझन की मिलाकर केवल कोल्हापूर विभाग के चीनी मिलों में ५७ लाख ६२ हजार मेट्रिक टन चीनी गोदामों में खपत के बिना पड़ी है और अगर पुरे राज्य का हिसाब लगाया जाए तो कुल मिलाकर करीब करीब ७५ लाख मेट्रिक टन चीनी अब भी गोदामों में है. १ अक्टूबर से २०१८-२०१९ का क्रशिंग सीझन भी शुरू होनेवाला है, इसके चलते गोदामों में पड़े चीनी का आखिर क्या करें? ऐसा सवाल चीनी मिल मालिकों को सता रहा है. २०१६-२०१७ के सीझन में कोल्हापूर और सांगली जिल्हे के मिलों में लगभग १८ लाख ६१ हजार ७२६ मेट्रिक टन चीनी गोदामों में बाकि रह गई थी |

सरकार की मदद भी कारगर नही रही

२०१७-२०१८ के क्रशिंग सिझन के बाद घरेलू और विश्वभर के बाजारों में भी चीनी के दाम लगातार गिरने कई सारी चीनी मिलों ने बिक्री रोख दी, इससे चीनी का स्टॉक और मिल मालिकों का टेंशन भी बढ़ गया. चीनी मिलों को कठिनाईयों गुजरना पड़ा, इसके चलते चीनी उद्योग ने केंद्र और राज्य सरकार से मदद के लिए गुहार लगाई. इसके चलते चीनी उद्योग को संवारने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ कदम उठाये, जिसमे चीनी कोटा, निर्यात के लिए अनुदान, बफर स्टॉक और चीनी का न्यूनतम बिक्री हमिभाव २९ रूपये प्रति किलोग्राम आदि जैसे निर्णय लिए गए, लेकिन ये कदम कारगर साबित नही हुए, क्योंकि आज भी चीनी उद्योग बम्पर स्टॉक और दर में मंदी की मार झेल रहा है|

२०१८-२०१९ में होगा ९४१.६० मेट्रिक टन गन्ना उत्पादन

इस साल भी महाराष्ट्र में गन्ना फसल ११.६२ लाख हेक्टर है, इससे अंदाजन ९४१.६० मेट्रिक टन गन्ने का उत्पादन होने की सम्भावना जताई गयी है. इसके चलते इस साल भी चीनी का उत्पादन नया रिकॉर्ड छू सकता है. रिकॉर्ड चीनी उत्पादन से अगले साल भी बाजार में चीनी के दाम गिरने की आशंका अभी से जताई जा रही है, इससे मिलों के सामने बड़ी आथिक समस्या खड़ी होने के आसार अभी से दिखने लगे है.

SOURCEChiniMandi

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