गन्ना काटने वाली महिलाओं को गर्भाशय हटाने के लिए किया ‘मजबूर’ ….

मुंबई / बीड : चीनीमंडी

बीड जिले में गन्ना काटने वाली महिला श्रमिकों को अपने गर्भाशय को निकालने के लिए मजबूर किया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने आरोपों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित की है। इस महीने के अंत तक समिति अपनी रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है। सूखा प्रभावित बीड में गन्ना काटनेवाली महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान गन्ना काटने से छुट्टी लेने पर ठेकेदार को जुर्माना देना पड़ता है। इससे निजाद पाने के लिए गन्ना काटने वाली महिलाओं को गर्भाशय हटाने के लिए किया ‘मजबूर’ किया जा रहा है, जिससे उन्हें मासिक धर्म के दौरान छुट्टी न देनी पड़े।

तीन वर्षों में बीड जिले की 4,605 महिलाओं का गर्भाशय हटाया गया…

राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में महिलाओं पर होने वाले “अत्याचार” पर एक सर्वेक्षण करने का फैसला किया है, जब राष्ट्रीय महिला आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को मजबूर हिस्टेरेक्टोमी की रिपोर्ट के बारे में लिखा था। राज्य विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरे, जिन्होंने इस मुद्दे पर एक बैठक की अध्यक्षता की और नवगठित समिति की सदस्य भी हैं, ने श्रम विभाग, चीनी आयुक्त और स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि गन्ना काटने वाली महिलाओं को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाए। गोरे ने पिछले महीने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया था, जिसके बाद कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने स्वीकार किया कि, पिछले तीन वर्षों में बीड जिले में 4,605 हिस्टेरेक्टॉमी हुई हैं। हर साल, बीड, उस्मानाबाद, सांगली और सोलापुर जिलों से हजारों गरीब परिवारों को राज्य के अधिक समृद्ध पश्चिमी जिलों में स्थानांतरित किया जाता है – जिन्हें “चीनी बेल्ट” के रूप में जाना जाता है।

महाराष्ट्र में महिलाओं की स्थिति “दयनीय” : राष्ट्रीय महिला आयोग

राष्ट्रीय महिला आयोग ने महाराष्ट्र में महिलाओं की स्थिति को “दयनीय” बताया है और राज्य सरकार से भविष्य में इस तरह के “अत्याचार” को रोकने के लिए कहा है। गोरे ने कहा कि, गन्ना काटने वाले समुदाय की समस्याओं के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। श्रम विभाग को चीनी कारखाने परिसर में शौचालयों की उपलब्धता के बारे में जानकारी एकत्र करनी चाहिए और जहाँ भी आवश्यकता हो, वहाँ मोबाइल शौचालय उपलब्ध कराना चाहिए।उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग, श्रम विभाग और चीनी आयुक्त को गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से पहले गन्ना काटने वालों के लिए स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, गन्ना काटने वाले पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से भुगतान किया जाना चाहिए और मोबाइल अस्पतालों को भी चीनी मिलों के पास तैनात किया जाना चाहिए। ठेकेदारों या चीनी मिलों को गन्ना कटाई श्रमिकों के लिए तीन स्वास्थ्य जांच आयोजित करनी चाहिए, जो सीजन की शुरुआत में, सीजन के बीच में और सीजन खत्म होने के बाद हो।

गन्ना कटाई में 8 लाख महिला श्रमिक…

महाराष्ट्र राज्य उस्ताद मुकदम वाहतुक संगठन अध्यक्ष श्रीरंग भंगे ने कहा कि, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के पेराई सत्र में लगभग 8 लाख महिला श्रमिक हिस्सा लेती हैं। आमतौर पर, एक दम्पति एक सीजन के दौरान 1 लाख से 1.5 लाख रुपये तक का ठेका लेता है जो छह महीने तक चलता है और पुरुषों और महिलाओं के लिए श्रमिकों का अनुपात 50:50 है। आठ लाख श्रमिकों में से, लगभग 3.5 लाख अकेले बीड से हैं। उन्होंने इस तरह की प्रथाओं के लिए स्थानीय डॉक्टरों को दोषी ठहराया। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि महिलाओं को सर्जरी के लिए जाने के लिए मजबूर किया गया था।

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